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बीकानेर,राजस्थानी भाषा की फिल्मों से दर्शकों का जुड़ाव बहुत जरूरी है। यह हमारे गौरव से जुड़ा विषय है। आज के दौर की राजस्थानी भाषा की फिल्मों को पूर्व की भांति दर्शकों का स्नेह मिले, इसके लिए हमें सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।
आने वाली राजस्थानी फिल्म ‘चिम्पूड़ो’ में मुख्य किरदार निभा रहे हरीश महर्षि ने मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक दौर था जब राजस्थानी फिल्मों वाले सिनेमा घरों में दर्शकों का ताता रहता था। उस दौर के अनेक कलाकार आज भी ख्याति रखते हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हिंदी सहित दूसरी भाषाओं ने नई तकनीकों को अपनाया लेकिन कई कारणों से राजस्थानी इस गति को बरकरार नहीं रख सकी। उन्होंने कहा कि आज के दौर में राजस्थानी फिल्मों को पुनः खोई प्रतिष्ठा दिलाने की जरूरत है। इसके लिए राजस्थानी फिल्मों में भी नए प्रयोक करने होंगे।
महर्षि ने बताया कि ‘चिम्पूड़ो’ एक अनाथ बच्चे की कहानी है। वह अपनी चतुराई से गांव की एक विधवा को सरपंच बनाने में सफल होता है। यह काॅमेडी आधारित फिल्म है, जो 8 सितम्बर को राजस्थान के 91 सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इसका प्रिमियर शो जयपुर के राज मंदिर सिनेमा हाॅल में होगा। वहीं राजस्थानी की पहली फिल्म होगी जो भारत के बाहर भी रिलीज होगी। उन्होंने बताया कि फिलम के निर्माता निदेशक राकेश कुमार टेलर हैं। इसकी शूटिंग मंडावा, शेखावाटी और जयपुर में हुई है।
हरीश ने बताया कि राजस्थानी भाषा और साहित्य के प्रति झुकाव उन्हें विरासत में मिला। उनके दादाजी स्व. सीताराम महर्षि ने राजस्थानी भाषा में सौ पुस्तकें लिखी। वे राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने बताया कि वे स्क्रिप्ट लेखन, गीत लेखन और कम्पोजिंग भी करते हैं। अब तक उनके कई एलबम रिलीज हो चुके हैं।
इस दौरान फिल्म के पोस्टर का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हरि शंकर आचार्य, उद्योगपति सुनील बाठियां, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सचिव शरद केवलिया, चंद्र प्रकाश महर्षि, जनसंपर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक दिनेश चंद्र सक्सेना आदि मौजूद रहे।

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