बीकानेर,जयपुर के सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर धाभाई ने आज एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान के सचिव, भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त, अध्यक्ष मानव अधिकार एवम देश भर के सभी मुख्यमंत्री एवम राजनीति से जुड़े लोगों को भेजकर मांग उठाई है कि देश में साम्प्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के साथ हेट स्पीच देष पूर्ण भाषणों पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की आवश्यकता है । नफरत फैलाने वाले भाषणों के संबंध में तुरंत प्रभाव से प्राथमिकियां दर्ज की जानी चाहिए। क्योंकि केवल शिकायत दर्ज करने से हेट स्पीच की समस्या का समाधान नहीं होने वाला है इसलिए सभी को मिलजुकर प्रेरणादायी शक्ति से एक ऐसा शांतिपूर्ण समाज तैयार करना है जहां ऐसी घटनाएं न हों और देश मजबूत हो और सदैव प्रगतिशील रहे। देश मे अमन, चैन, भाईचारा एवम शांति कायम रहे।
समाजसेवी रवि शंकर धाभाई ने आगे बताया कि धार्मिक सद्भाव हमारे महानतम देश की समृद्ध परंपरा रही है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने विश्व में जो ख्याति और सम्मान पाया है, वह दुनिया के किसी और देश को नहीं मिला है। अपने प्राचीन संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहें और देश की एकता व अखंडता अक्षुण्ण रहें। यह सप्ताह 19 नवंबर को राष्ट्रीय एकता दिवस से शुरु होकर 25 नवंबर तक आयोजित किया जाता है। यह पर्व हमारे देश के विभिन्न जातियों, धर्मों और संप्रदायों को एक साथ लाने का कार्य करता है क्योंकि हम एक दूसरे से भिन्न होकर भी एक ही हैं और हमारी असली पहचान हमारी राष्ट्रीयता यानी की हमारा भारतीय होना है। हमारी एकता ही हमारी असली शक्ति है। रवि शंकर धाभाई ने कहा कि कौमी एकता सप्ताह ना सिर्फ तमाम संप्रदायों के मध्य सद्भावना बढ़ाने का कार्य करता है बल्कि लोगों में भाईचारा और एकता की भावना को भी बढ़ाता है।
सभी नागरिकों को साम्प्रदायिक सौहार्द शपथ और शांति मार्च का आयोजन कर सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का संकल्प एवम शपद लेना चाहिए। समय समय पर राष्ट्रीय एकीकरण और सांप्रदायिक सौहार्द दिवस के आयोजन कर मनाया जाना चाहिए । सभी जाति, धर्म के लोगों को आपस में मिलजुल कर एकता भाईचारे के साथ रहना चाहिए।
समाज सेवी रवि शंकर धाभाई ने सभी देशवासियों से अपील की है कि सभी को कंधे से कंधा मिला कर भारत को विकास की ओर ले जाने की जरूरत है। क्योंकि बगैर एकता के देश का विकास संभव नहीं है। सद्भवना दिवस मनुष्य को दूसरे के दुखों को खुद का समझ कर दूर करना चाहिए।
पीड़ितों की मदद करने वाले व्यक्ति का ईश्वर मदद करता है।
देश और समाज में राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता स्थापित करने के लिये संप्रदायवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करना हमारा नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को मिल-जुल कर रहना, परस्पर प्रेम, सद्भाव व्यक्त करना तथा विभिन्न समुदायों के क्रियाकलापों में सहभागिता करना और उसकी प्रशंसा एवं सम्मान करना हमारे जीवन का मूल्य होना चाहिए। देश में जातिवाद, सम्प्रदायवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सकीर्णतावाद को खत्म करने में कारगर भूमिका निभाई की तुरंत जरूरत है ।