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बीकानेर,गंगाशहर स्थित टी एम ऑडिटोरियम में विरासत संवर्धन संस्थान भारतीय, संगीत, नाट्य, कला, संस्कृति का संरक्षण तो कर ही रही, प्रोत्साहन और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। नाट्य, लोक गीत, भारतीय संगीत, राजस्थानी कलाकारों को भी मंच दिया जा रहा है। जो काम भारत सरकार और राज्य सरकार की कला संस्कृति अकादमी नहीं कर पाई है वो कार्य भले ही छोटे स्तर पर ही सही विरासत संवर्धन संस्थान ने किया है। सौभाग्य से राजस्थान सरकार में कला संस्कृति मंत्री डा. बी डी कल्ला और अब से पहले केंद्रीय कला संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल रहे हैं। ये दोनों मंत्री एक राज्य से दूसरे केंद्र से बीकानेर के हैं। इन्होंने विरासत की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए क्या किया है यहां के लोग भली भांति वाकिफ है, अत: उल्लेख की जरूरत नहीं है। विरासत संवर्धन संस्थान ने बहुत ही थोड़ा किया। जिसमें घूमर नृत्य का बालिकाओं को प्रशिक्षण, लोकगीतों के कलाकारों को अवसर, गजलों का राष्ट्रीय कार्यक्रम रखा। जिसमें स्थानीय गजल गायकों को भी भरपूर अवसर दिया। कथक नृत्यांगना रचना यादव और अभी कथक कलाकार पन्ना लाल समेत अन्य कलाकारों की प्रस्तुति हुई। राष्ट्रीय स्तर एक नाट्य प्रस्तुति में संजना कपूर कला साधना के लिए बीकानेर में टी एम ऑडिटोरियम की भूरी भूरी प्रशंसा की। रणजीत रजवाड़ा की प्रस्तुति हो ,मदन मोहन के गीतों पर राज्यस्तरीय प्रतियोगिता या कला संस्थाओं के कार्यक्रमों के लिए ऑडिटोरियम की नि:शुल्क उपलब्धता विरासत संवर्धन संस्थान ने जो भी दिया है उसका उल्लेख जिम्मेदार लोगों को आईना दिखाने के लिए जरूरी है। सवाल यथार्थ से रु ब रू करवाना है। कोई तारीफ के पुल बांधना नहीं है।घूमर प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन समारोह में विरासत के अध्यक्ष टी एम ललवानी खुद मौजूद थे। घूमर का प्रशिक्षण कामयाब नहीं हुआ। जो प्रस्तुति दी गई घूमर थी ही नहीं। नव प्रशिक्षित बालिकाओं को घूमर के नाम पर खिचड़ी नृत्य सिखाया गया। जो भी श्रम, संसाधन और समय लगाया गया वो उद्देश्य के अनुरूप सफल नहीं रहा। तिस पर भी आयोजक और संस्थान से जुड़े लोग खुद ही वाहवाही करते रहे। अध्यक्ष भी आत्म मुग्धता में डूबे नजर आए वाह वाही की ऐषणा और चापलूसी की पराकाष्ठा ने मिश्रित नृत्य को घूमर साबित कर दिया। घूमर नृत्य के नाम पर जो प्रस्तुति दी गई वो घूमर का अंश ही था। विशुद्ध घूमर नृत्य नहीं। क्या बच्चों को गलत सीखना चाहिए? संस्थान के अध्यक्ष खुद कलाओं के ज्ञाता है और अच्छे समीक्षक भी है। घूमर की परिभाषा क्या है और घूमर नृत्य केसे होता है वे बखूबी जानते हैं। फिर घूमर का घालमेल शोभा देता है क्या ? खेर यह तो सुधार की बात है। झूठी वाहवाही करने और लेने से कला विकृत होती है। विरासत संस्थान तो कला में सुधार और संवर्धन करती है। प्रयास अच्छा होना पर्याप्त नहीं है प्रयास सार्थक भी होना चाहिए। खेर इससे संस्थान की साख बनता है। वैसे जो काम विरासत संवर्धन संस्थान कर रही है सरकारी अकादमियों को भी बड़े स्तर पर करना चाहिए। कला संस्कृति, गीत संगीत, नृत्य समृद्ध राष्ट्रीय जीवन का प्रतीक होता है। इसका संवर्धन राष्ट्रीय जीवन की समृद्धता से जुड़ा है। अकादमियां बनाई ही क्यों गई है ? उद्देश्य तो पूरा करें।

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