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पाली। लाइलाज बीमारी सिलकोसिस से पीडि़त लोगों के लिए कोरोना महामारी काल बनकर आई। कोरोना काल में घरों में कैद रहने के कारण फेफड़ों में जमी धूल ने उनकी सांसें रोक दी। जिससे पाली जिले में 35 मरीजों की धडकऩ बंद हो गई। इधर, मरीजों का आंकड़ा भी दिनोंदिन बढ़ रहा है। बेहतर उपचार के लिए अब जिला मुख्यालय के बांगड़ अस्पताल में हर सप्ताह शिविर लगाकर इनका उपचार किया जा रहा है।

कोरोना काल में शिविर नहीं लगे, नतीजन 35 जनों की मौत
पाली में वर्तमान में 608 मरीज सिलिकोसिस के है। बांगड़ चिकित्सालय में कोरोना के कारण कई माह तक शिविर नहीं लगे। ऐसे में इस बीमारी से ग्रसित 608 लोगों पर जान पर बन आई। वर्ष 2016 से अब तक पाली जिले में 102 सिलिकोसिस मरीजों की मौत हो चुकी है। अकेले कोरोना काल में 35 जनों की जान गई। इन मरीजों को लॉकडाउन व उसके बाद शिविर लगाने पर पाबंदी होने के कारण समय पर ऑक्सीजन व उपचार नहीं मिला।

अब हर सप्ताह शिविर, ताकी मिले उपचार
बांगड़ चिकित्सालय में सिलिकोसिस के मरीजों को उपचार के लिए बुलाना शुरू किया गया है, लेकिन उनकी संख्या कम ही है। अभी लगाए जाने वाले शिविर के लिए मरीज को ई मित्र से पंजीयन कराना होता है। इसके बाद चिकित्सालय से चयनित मरीजों को फोन कर बुलाया जाता है। जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले कई मरीजों को इसकी जानकारी नहीं होने से वे शिविर में नहीं पहुंच रहे हैं।

प्रदेशभर में समस्या, हालात नहीं सुधरे
खदानों व पत्थर की तुड़वाई का कार्य करने वालों की सांसों के साथ धूल के कण शरीर में जाकर फेफड़ों में जमा हो जाते है। इससे फेफड़े काम करना बंद कर देते है और सांस लेने में तकलीफ होती है। इस स्थिति में मरीज को ऑक्सीजन दिया जाना जरूरी होता है। जो कोरोना काल में नहीं हो सका। इसके अलावा अन्य फेफड़े की तकलीफ के कारण मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा। प्रदेश के भीलवाड़ा, अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, जालौर, सिरोही, राजसमंद, उदयपुर, बाड़मेर, सवाई माधोपुर और टोंक जिले सर्वाधिक संवेदनशील है। यहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

पाली में यहां सबसे अधिक प्रकोप
पाली जिले के जैतारण, बर, रास, रायपुर मारवाड़, बाली, नाना, भीमाणा क्षेत्र में सिलिकोसिस के सबसे अधिक मरीज है। यहां खदानों का काम करने वाले श्रमिक लगातार चपेट में आ रहे हैं। इससे बुरा हाल है।

मरीजों को फोन पर बुला रहे
सिलिकोसिस मरीजों को फोन पर बुला रहे हैं, उनका हर सप्ताह उपचार कर रहे हैं। उन्हें समय पर प्रमाण पत्र भी जारी किए जा रहे हैं, कोविड काल में 35 मरीजों की जान गई। मरीजों को लेकर चिकित्सा विभाग गंभीर है। – डॉ. ललित शर्मा, प्रभारी, सिलिकोसिस, बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पाली।

आंकड़ों में सिलिकोसिस
कुल मरीज-608
पांच वर्ष में मौतें-102
वर्ष 2020-21 में मौतें-35
वर्ष 2016 से 2020 तक मौतें- 67

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