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बीकानेर.श्रीडूंगरगढ़. श्रीडूंगरगढ़ तहसील की रोही िस्थत खेत में बनी पानी की डिग्गी में शनिवार को तिरपाल लगाते वक्त एक युवक गिर गया। उसे बचाने के लिए पिता ट्रेक्टर लेकर ही डिग्गी में उतर गए। हादसे में दोनों की मौत हो गई। इस दौरान परिवार के लोग भी मौके पर मौजूद थे। जिन्होंने दोनों को डिग्गी से निकालने के प्रयास किए। शोर-शराबा करके पड़ोसियों को भी बुला लिया। ग्रामीण व परिजन दोनों को 20-25 मिनट में बाहर निकाल सीएचसी ले गए। जहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

श्रीडूंगरगढ़ एसएचओ अशोक बिश्नोई ने बताया कि लूणकरनसर के सोढ़वाली गांव निवासी बहादुर सिंह (52) पुत्र ज्ञान सिंह सतासर गांव में अपने ससुराल में वर्षों से परिवार सहित रहता है। शनिवार सुबह बहादुरसिंह अपने 18 वर्षीय छोटे पुत्र सवाई सिंह एवं बड़े पुत्र नरेन्द्र सिंह और ससुर हुकम सिंह के साथ खेत में बनी डिग्गी में तिरपाल लगा रहा था। इस दरम्यान सवाईसिंह पैर फिसलने से पानी में जा गिरा। उसे डूबता देख बहादुरसिंह हड़बड़ा गया और ट्रेक्टर लेकर ही डिग्गी में उतर गया। डिग्गी में आठ-नौ फीट पानी भरा हुआ था। दोनों को डूबता देख बहादुरसिंह के ससुर व बड़े बेटे ने पड़ोसियों को मदद के लिए पुकारा। ग्रामीणों की मदद से दोनों को पानी से बाहर निकाल श्रीडूंगरगढ़ सीएचसी लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक दोनों ने दम तोड़ दिया।

रुंधे गले से ससुर बोला-हम डूबते हुए देखते रहे, पर बचा नहीं पाए…जीवनभर रहेगा अफसोस
घटना के समय हुकमसिंह व बहादुरसिंह का बड़ा बेटा नरेन्द्रसिंह मौके पर मौजूद थे। दोनों के पानी में गिरने पर दोहिते व नाना हुकमसिंह ने बचाने की खूब कोशिश की। ढाणी से परिजन और पड़ोसियों को बुलाकर रस्से के सहारे निकालने का भी प्रयास किया, लेकिन दोनों को निकालने में 20-25 मिनट का समय लग गया। बहादुरसिंह का ससुर हुकम सिंह रुंधे गले से बोला-आज मेरे से किस्मत रुठ गई। बहादुरसिंह जवाई कम मेरा बेटा ज्यादा था। मैं और मेरा दोहिता नरेन्द्रसिंह बेबस उन्हें डूबते हुए देखते रहे लेकिन बचा नहीं पाए। जब तक जिंदा रहूंगा यह अफसोस रहेगा। यह कहते हुए वह फूट-फूट कर रोने लगा।

घर में मचा कोहराम, पत्नी-बेटी की हालत खराब
हादसे के बाद बहादुरसिंह के घर में कोहराम मच गया। उसकी पत्नी व बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है। हादसे का पता चलने पर ग्रामीण व आसपास से परिजन भी घर पहुंच गए। गांव वाले मां-बेटी को ढांढ़स बंधा रहे थे। ग्रामीणों के मुताबिक बहादुरसिंह अपने सास-ससुर की देखभाल करता था। बहादुरसिंह की मौत ने हुकम सिंह को तोड़ दिया। उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

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