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बीकानेर,माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर ने किसी भी तरह का गोचर, चारागाह की भूमि पर किय गए अतिक्रमण को 18 अप्रैल के आदेश की पालना में नियमित नहीं करने पर रोक लगाई

माननीय न्यायालय ने कहा कि उन मामलों को छोड़कर जहां नियमानुसार उचित राजकीय भूमि गोचर भूमि के रूप में पहले दर्ज कर दी गई है। किसी गोचर भूमि का नियमन नहीं किया जाए न्यायधीश डा. पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकल पीठ में याचिकाकर्ता अनूप सिंह गहलोत मंत्री श्री सुरभि गो अभयारण्य समिति बीकानेर ने राज्य सरकार के 18 अप्रैल 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके अंतर्गत गोचर पर हुए अतिक्रमण को नियमित किया जाना था।
याचिकाकर्ता के वकील मोती सिंह राजपुरोहित ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पत्र याचिका में गोचर, चारागाह भूमि को लेकर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए थे। कोर्ट ने राज्य में चारागाह भूमि पर अनाधिकृत कब्जों को जिलेवार ब्यौरा मांगते हुए निर्देश दिए थे कि, अतिक्रमण हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 18 अप्रैल 2023 के आदेश में चारागाह भूमि पर अतिक्रमण नियमन के आदेश दिए हैं।
राजस्थान काश्तकारी सरकारी नियमावली 1955 के नियम 7 के तहत ऐसा नियमन नहीं किया जा सकता। इससे पूर्व यथा उचित राज्य की भूमि को पहले चारागाह दर्ज करना जरूरी है। उसके अभाव में नियमन या आवंटन संभव नहीं है। एकल पीठ ने राज्य सरकार को जवाब तलब करते हुए अतिक्रमण के नियमों पर रोक लगा दी है।
संघ के सूरजमालसिंह नीमराणा ने बताया कि इससे पहले भी राज्य सरकार ने 2022 में गोचर पर हुए अतिक्रमण को नियमित करने के लिए आदेश जारी किए थे। उस पर भी सुरभि गौ अभयारण्य ने जनहित याचिका लगाकर गोचर, चारागाह के अतिकर्मियों को नियमित नहीं करने की रोक लगवाई थी।
परंतु राज्य सरकार ने फिर से नियमों में स्थिलता प्रदान कर गोचर पर हुए कब्जों को नियमित करने के आदेश पारित किए। उस पर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लेकर पुनः रोक लगाई है। संघ माननीय उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करता है। कि आप आमजन की सुनकर राज्य सरकार के अतिकर्मी कार्यों को पाबंद करते हैं।
सूरजमाल सिंह ने कहा कि संघ 11 जून को आयोजित राज्यस्तरीय गोचर ओरण सम्मेलन में इस विषय को उठाएगा और भविष्य में राज्य सरकार इस प्रकार का कार्य नहीं कर सके उस पर निर्णय लेकर आंदोलन की तैयारी करेगा।

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