बीकानेर,डॉ. बी.डी. कल्ला की राजस्थान की राजनीति में एक संजीदा नेता के रूप में पहचान है। राजस्थान की राजनीति में कल्ला वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए गए हैं। कल्ला ने खुद नेतृत्व क्षमता, सरकार चलाने का अनुभव और विकास का विजन होना साबित किया है। गहलोत सरकार के विपरीत हालातो में कल्ला ने मोर्चा संभाला औऱ अच्छा काम करके दिखाया। पूरा जीवन राजनीति में खपाया है। बेशक कल्ला में जनहित की समझ और विकास का विजन है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में बीकानेर के विकास का जो सपना देखा उसे बखूबी पूरा किया और पूरा करने की कोशिश लगे हुए हैं। भले ही विरोधी औऱ कल्ला के आलोचक कुछ भी कहें बीकानेर में बहु संकाय विवि कल्ला की पहल है। शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिक औऱ आधारभूत विकास की जनप्रतिनिधि की हैसियत से कल्ला तरफदारी करते रहे हैं। बीकानेर में पोलिटिकल स्केल वाले नेताओं को लें तो माणिक चन्द सुराणा जो संसार में नहीं है परंतु उनका राजनीतिक जीवन अभी भी बोलता है। देवी सिंह भाटी अलबेले नेता हैं जनता मानती है। कल्ला की भी जनता इज्जत करती है। यह कल्ला के लिए शकुन देने वाली बात है। कल्ला अपने राजनीतिक जीवन को औऱ उज्ज्वल बन सकते हैं। कल्ला स्वयं में जननायक का मादा है। समझ और क्षमता है, परन्तु इर्द गिर्द का आभामण्डल कल्ला के वास्तविक जननेता को उभरने नहीं देता। हाल ही में भाजपा के विधायक सुमित गोदारा ने किसानों की सभा में मंत्री कल्ला पर सटीक टिप्पणी की थी कि कल्ला अपने कुनबे से बाहर आकर काम करे। कल्ला अपनी जीवनभर की राजनीतिक साधना की उज्ज्वल तस्वीर लोकतंत्र में बनाना चाहते हैं तो उनको कुनबे से बाहर की छवि बनाने की जरूरत है। कल्ला की राजनीतिक विडम्बना है कि उनके इर्द गिर्द का आभामण्डल राजनीतिक परजीवियों का है जो सत्ता का खुलकर दुरुपयोग करने से नहीं चूकते। उनका खुद का होना कल्ला के सत्ता में होने पर ही निर्भर है चाहे विवि, महाविद्यालयो पर काबिज लोग हो या पदों पर बैठे लोग। कल्ला नहीं तो वे भी नहीं। ऐसे लोग कल्ला की उज्ज्वल नेता की छवि बनने नहीं दे रहे हैं। स्वार्थी लोग जो कल्ला का आभा मण्डल बनाने में लगे हैं कल्ला उन लोगों के चंगुल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कल्ला लम्बी राजनीतिक जीवन साधना के बाद अब जन जन के नेता हैं उनको वाकई कुनबे के कॉकस से बाहर आने की जरूरत है। लोग सवाल उठाते हैं कि कल्ला के कार्यकाल में संविदा पर सर्वाधिक कौंन लोग लगे हैं। पदों पर किन के चहेते हैं। सत्ता का लाभ कौन ले रहे और दुरुपयोग कौन कर रहे हैं। इन सवालों के बीच कल्ला को जनता में हर किसी का हितेषी औऱ जन जन के नेता होना साबित करना होगा तभी उनकी राजनीतिक साधना सफल होगी
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