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बीकानेर,जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा ग्रीष्मकाल में आयोजित होने वाले जाम्भाणी संस्कार शिविर के क्रम में शुक्रवार को लालासर साथरी में शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से करते हुए मुख्य अतिथि स्वामी रामानंद जी आचार्य मुकाम पीठाधीश्वर ने संस्कारों की महत्ता पर प्रकाश डाला। स्वामी रामानंद जी ने बताया कि व्यक्ति अपनी पूर्णता को संस्कारों के माध्यम से ही पाता है।सनातन धर्म में जहां 16 संस्कारों को मान्यता दी गई है वहीं बिश्नोई समाज में 4 संस्कारों को प्रमुखता दी गई है। संस्कार के माध्यम से व्यक्ति नैतिक व चरित्रवान बनता है और चरित्रवान व्यक्ति ही सशक्त राष्ट्र का निर्माता होता है। संस्कारों से एक सुसभ्य समाज का निर्माण होता है।इस शिविर में बीकानेर व अन्य जगहों से लगभग 80 बच्चों ने भाग लिया है।यह एक आवासीय शिविर है जो आगामी 5 दिवस तक जारी रहेगा।उद्घाटन समारोह में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आचार्य स्वामी सचिदानंद महंत लालासर साथरी ने शिविर की सम्पूर्ण रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए पाँच दिवसीय कार्यक्रम को सविस्तार बताया। इस अवसर पर स्वामी सचिदानंद जी ने शिविर गीत गाकर बच्चों को सरल शब्दों में जाम्भाणी पंथ के इतिहास व चरित्रों के बारे में बताया। नई पीढ़ी में आधुनिक युग की वर्चुअल चकाचौंध में एक्चुअल संस्कार व नैतिक मुल्यों के उत्कर्ष हेतु संस्कार शिविरों की महत्ती आवश्यकता है।सम्पूर्ण भारतवर्ष के अलग-अलग स्थानों पर इस ग्रीष्मकालीन सत्र में दस शिविरों का आयोजन किया गया है। जिसमें हज़ारों शिविरार्थी लाभान्वित होंगे।इस अवसर पर हिसार से पधारे समाजसेवी पृथ्वी सिंह गीला ने बच्चों को उपयोगी पुस्तकों का वितरण किया | कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट संदीप धारणियां ने किया।

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