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बीकानेर,जयपुर के सामाजिक कार्यकर्ता एवम अखिल भारतोय गुर्जर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि शंकर धाभाई ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आज सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर जयपुर शहर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगवाने की घोषणा करने का मांग पत्र भेजा । इस पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, केंद्रीय पर्यटन मंत्री, एवम डायरेक्टर जनरल ए एस आई आदि को देश के विभिन्न हिस्सों में भी सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति स्थापित करने का अनुरोध किया है। रवि शंकर धाभाई ने बताया कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश के मिहिरभोज महान् का शासन काल में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता । गुर्जर सम्राट मिहिर भोज अपने पिता के तीन वर्ष के शिथिल शासनकाल के राजगद्दी बैठें थे । मिहिर भोज ने अपने पितामह नागभट्ट की परम्परा को आगे बढ़ाया ,जिसकी सेना में 8 लाख पैदल , 90 हजार घोड़े ,एक हजार हाथी ,रथ सेनिकों की स्थाई संगठित सेना थी ।

गुर्जर प्रतिहार वंश का शासन व्यवस्था वीरता और शौर्य से भरा एक समयकाल था । इस राजवंश ने चारों तरफ अपनी सीमा का विस्तार कन्नोज से किया .भारतीय इतिहास में सैनिकों को नगद वेतन व्यवस्था का श्रेय इसी गुर्जर वंश को था एवं इस शासन काल में प्रजा पर अत्याचारी सामंत , सैनिकों के शिथिलाचार , रिश्वतखोरी पर कठोर दंड प्रावधान था.

गुर्जर प्रतिहार वंश की राज ध्वजा पर वरहा राज चिंह अंकित था । भोजराज , वारहावतार ,परम भट्टारक , महाराजाधिराज गुर्जर सम्राट भोज की उपाधि सें अलंकृत था यह राजवंश.

गुर्जर सम्राट मिहिर भोज महान् …. आदिवराह चक्रवर्ती सम्राट “सन 836 – 885 के 49 बर्ष का यह कार्यकाल और यह राजवंश जब गुर्जर प्रतिहार सेना हर हर महादेव , जय विष्णु जय महादेव का जयकारा के साथ धावा होता था ,गुर्जर सैनिकों ने हमेशा युद्द नीति का पालन किया।
गुर्जर प्रतिहार राजवंश में कन्नोज स्वर्ण और चांदी का सबसे बडा व्यवसाहिक केन्द्र था.

अतः पर्यटन को बढ़ावा, इतिहास एवम संस्कृति को जीवित रखते हुए इनकी प्रतिमा लगाने का आदेश तुरंत प्रभाव से देने की मांग उठाई है ।

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