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बीकानेर,कृषि महाविद्यालय बीकानेर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग द्वारा व्यवसायिक मुर्गी पालन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार से प्रारंभ हुआ। यह जानकारी देते हुए प्रशिक्षण समन्वयक डॉ एन एस दहिया ने बताया कि मुर्गी के अंडे उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है तथा मुर्गीपालन का देश की जीडीपी में 1 प्रतिशत योगदान है। इस प्रशिक्षण में राजस्थान व अन्य राज्यों के 50 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि राजूवास बीकानेर के कुलपति डॉ सतीश कुमार गर्ग ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कृषि के साथ अन्य गतिविधियां भी किसान को अपनानी चाहिए जिसमें मुर्गी पालन एक व्यवसाय हो सकता है। स्थानीय जलवायुवीय परिस्थितियों में मुर्गी पालन व्यवसाय को वर्ष भर चलाने के लिए प्रशिक्षण में जानकारी दी जानी चाहिए। मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति डॉ अरुण कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि मुर्गी पालन व्यवसाय आय में वृद्धि के साथ-साथ पोष्टिकता से भी जुड़ा है अतः किसानों को छोटे स्तर पर ही सही इसे अपनाना चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्री पंकज शर्मा ने बताया कि किसानों को कृषि के साथ पशु पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन आदि को स्थानीय जलवायु अनुरूप अपनाकर लाभ कमाना चाहिए। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय बीकानेर डॉ आई पी सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा प्रशिक्षण में प्रायोगिक सत्रों को ज्यादा से ज्यादा रखने पर जोर दिया तथा मुर्गियों में वेक्सीसन एवं विक्रय से सम्बंधित जानकारी देने को कहा।कार्यक्रम में डॉ वीरेंद्र नेत्रा, संयुक्त निदेशक पशुपालन, डॉ रामअवतार लेगा, अध्यक्ष, भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, श्री रमेश तांबिया, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड, डॉ अशोक खीचड़, डॉ अरुण झीरवाल, जयपुर से आये मुर्गी पालन व्यवसायी परविंदर सिंह चौहान तथा सभी अधिष्ठाता निदेशक एवं अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सीमा त्यागी ने किया तथा डॉ रामनिवास ढाका ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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