बीकानेर, डॉ. मोहता जीवटता से भरे विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उनके बहुविध व्यक्तित्व को कला सृजनमाला के माध्यम से सार्थक श्रद्धांजलि दी गई है। इस आयोजन से जुड़े सभी महानुभाव साधुवाद के पात्र हैं।
शिक्षामंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने मंगलवार को कला सृजनमाला के समापन अवसर पर प्रौढ़ शिक्षा भवन सभागार में अभिव्यक्त किए।
अवसर था – बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति, बीकानेर, परंपरा, बीकानेर और उरमूल सीमांत, बज्जू के सह-आयोजन में लोककला मर्मज्ञ डॉ.श्रीलाल मोहता के बहुविध व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने के लिए 16 जून 2022 से 16 मई 2023 तक वर्षभर प्रत्येक माह की 16 तारीख को आयोजित साहित्य, संस्कृति, लोककला से जुड़े विभिन्न आयोजनों की श्रृंखला कला सृजनमाला की पूर्णाहुति का।
डॉ. कल्ला ने कहा कि डॉ.श्रीलाल मोहता का संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान साहित्यिक दृष्टि से अमूल्य निधि है। नए कलाकारों की पहचान और उनकी कला को उचित मंच उपलब्ध कराने में उनके सार्थक और समर्पित प्रयासों के बारे में मारवाड़ी में कहूं तो उन्होंने कई बुरोड़े मतीरों की खोज की थी। डॉ.कल्ला ने विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत ही विशिष्ट था। विकट से विकट परिस्थितियों में भी साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों को सफल बनाने की युक्ति निकालने में वे माहिर थे।
मुख्यवक्ता साहित्य अध्येता गौरीशंकर व्यास ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा कि डॉ.मोहता असाधारण में साधारण और साधारण में असाधारण थे। इतने विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी होने के बाद भी अहंकार, घमंड उनसे कोसों दूर था। वे तो ज्ञान के ऐसे समृद्ध कुए बन गए थे जो ज्ञानपिपासू के पास स्वयं चले जाते थे। उनका व्यक्तित्व तो ‘निर्मल मन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा’ से प्रेरित था। लोककला और साहित्य के मैदान के ऐसे पहलवान थे जिन्हें साहित्य लेखन के सभी दांव आते थे। विभिन्न विषयों एवं विभिन्न क्षेत्रों में रचा गया उनका साहित्य युवा साहित्यकारों के लिए निरंतर मार्गदर्शन करता रहेगा। बीकानेर शहर में साहित्यिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक आयोजन उनकी उपस्थिति और सक्रियता उल्लेखनीय रहती थी। उनके नेतृत्व में कईं संस्थाओं ने शिक्षा, साहित्य और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। विभिन्न संस्थाओं का नेतृत्व करते-करते वे अपने-आप में संस्था बन गए थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने कहा कि साहित्यिक, सांस्कृतिक और लोककला के क्षेत्र में उनकी कार्य के प्रति तत्परता, सक्रियता और सरलता बहुत प्रेरणादायी और बेजोड़ है।
सान्निध्य उद्बोधन के तहत बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ.ओम कुवेरा ने कला सृजनमाला की पृष्ठभूमि, परिकल्पना और इसकी समयबद्ध और निर्बाध क्रियान्विति के बारे में अपने विचार रखते हुए आयोजनों की डॉ.श्रीलाल मोहता के बहुविध व्यक्तित्व के साथ जुड़ाव की अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां शारदे और डॉ.श्रीलाल मोहता के छायाचित्रों के समक्ष माल्यार्पण कर किया गया। इस क्रम में अतिथियों को स्वागत माल्यार्पण, शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह देकर किया गया। तत्पश्चात् कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने पीपीटी के माध्यम से कला सृजन माला की यात्रा की संक्षित रपट प्रभावी रूप से प्रस्तुत की। मंचस्थ अतिथियों द्वारा कला सृजनमाला श्रृंखला के तहत विभिन्न आयोजनों की सफलता से जुड़े कार्यकर्ताओं, सहभागियों, सहयोगियों और मार्गदर्शकों के प्रति आभार जताते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। आयोजन का संयोजन संस्था परिवार के ओम प्रकाश सुथार द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में शहर के प्रबुद्धजन की सहभागिता एवं संस्था परिवार के लक्ष्मीनारायण चूरा, तलत रियाज, उमाशंकर आचार्य, विष्णुदत्त मारू, श्रीमोहन आचार्य, वहिदा खातून, प्रवीण शर्मा आदि की सक्रिय सहभागिता रही। अंत में संयुक्त सचिव डॉ.ब्रजरतन जोशी ने संस्था परिवार की ओर से आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।