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बीकानेर वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल में गाय-भैंसों में हीट (ताव) की समस्या व समाधान विषय पर विशेषज्ञ प्रो. अतुल सक्सेना ने पशुपालकों से संवाद किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने चौपाल में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का यह प्रयास है कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए पशुपालकों को घर बैठे पशुपालन की नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को पहुँचाया जाये ताकि पशुपालक अपनी आर्थिक उन्नति में बढ़ोतरी कर सके। कुलपति प्रो. गर्ग ने कहा कि राजुवास ई-पशुपालक चौपाल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम सिद्ध हो रहा है जिसका पशुपालक भाई घर बैठे लाभ उठा रहे हैं। निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि पशु प्रजनन में निरंतरता बनाये रखने के लिए पशुओं में ताव या हीट की पहचान एक बहुत उपयोगी पड़ाव है, सही समय पर ताव की पहचान होने पर पशुओं को प्राकृतिक या कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से ग्याभिन करवा सकते है एवं आर्थिक नुकसान से बच सकते है। आंमत्रित विशेषज्ञ प्रो. अतुल सक्सेना विभागाध्यक्ष, मादा पशुरोग विज्ञान विभाग, उ.प्र. पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा महाविद्यालय, मथुरा ने विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि गायों में भैंसो की तुलना में ताव के लक्षण स्पष्ट होते हैं। पशुओं की स्थिर या स्टेंडिंग हीट की अवस्था से 12 घंटे बाद गर्भाधारण करवाना चाहिए। भैंसो में ताव के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं अतः व्यवसायिक भैंस पालक टीजर सांड की सहायता से ताव की पहचान कर सकते है। सामान्य प्रसव के बाद कम से कम 50 दिन के अन्तराल के बाद ताव में आने पर गाय-भैसों को ग्याभिन करवाना चाहिए। पशुओं में अनियमित ताव का मुख्य कारण पशुपोषण में कमी है अतः संतुलित आहार के माध्यम से पशुओं में अनियमित ताव की 70 प्रतिशत समस्या का समाधान किया जा सकता है। अण्डादानी में सिस्ट बनना एवं हार्मोन्स का असंतुलन होना पशुओं में लगातार अनियमित ताव का मुख्य कारण होता है अतः ऐसी अवस्था में पशुचिकित्सक से जांच करवाकर पशुओं का ईलाज करवाना चाहिए। प्रो. सक्सेना ने पशुपालकों की प्रजनन संबंधी जिज्ञासाओं का इस चौपाल के माध्यम से त्वरित निवारण किया। ई-पशुपालक चौपल में राज्यभर के पशुपालक, किसान, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण फेसबुक पेज से जुडे।

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