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बीकानेर,राजस्थान सरकार की ओर से लगाए गए महंगाई राहत कैम्प जनता के लिए सिरदर्द साबित होने लगे हैं। राहत कैम्प कार्यों को सम्पादित करने के लिए नगर विकास न्यास, नगर निगम समेत अनेक विभागों से कर्मचारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है । इन कर्मचारियों के राहत कैम्प में चले जाने से जनता से जुडे दूसरे तमाम कार्य रुक गए है।

महंगाई राहत शिविरों के लिए जिन कर्मचारियो की ड्यूटी लगी है वे तो अपनी मूल सीट पर नहीं आ सकते लेकिन उनकी अनुपस्थिति में जिन्हें काम सौम्पा गया वे भी नदारद है। यानी राहत कैम्प के नाम पर जबरदस्त फरलो चल रहा है। जिन लोगों की ड्यूटी नहीं लगी है और वे भी मंहगाई राहत कैम्प होने का बहाना कर अपने मूल काम से जी चुरा रहा है। सबसे बड़ी बात मंत्रालयिक कर्मचारियों की शिकायत भी नहीं कर सकते क्योंकि अधिकारी भी राहत कैम्प का नाम लेकर सीट से नदारद रहते है।

गुरुवार को नगर निगम उत्तर क्षेत्र का जब जायजा लिया तो वहां इक्का-दुक्का कर्मचारी को छोड़कर सब नदारद थे, तीन चार कमरों में तो ताले लगे हुए थे, यहां तक सचिव हंसा मीणा भी दोपहर तक कार्यालय में नहीं पहुंची थी। कुछ ऐसे ही हालात नगर विकास न्यास के भी हैं। वहां भी महंगाई राहत कैम्प के नाम पर कर्मचारी ड्यूटी से गायब हैं और इससे जनता के काम अटके हुए है। इस बारे में जब महापौर श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित से बात की गई तो उन्होंने भी आश्चर्य जताते हुए स्वीकार किया कि राहत कैम्प के नाम पर कर्मचारी गायब हैं और इससे जनता के काम अटक रहे हैं।

नगर निगम कर्मचारी
प्रशासनिक अधिकारी -स्वीकृत 37, रिक्त 21
मंत्रालयिक कर्मचारी -स्वीकृत-238, रिक्त 79
तकनीकी कर्मचारी- स्वीकृत 29, रिक्त 20

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