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बीकानेर,वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री मोदी के साथ माउंट आबू की सभा में मौजूद थीं. लेकिन दोनों के बीच सामान्य बातचीत का नजारा नजरों से ओझल रहा. वसुंधरा पीएम मोदी के ठीक बगल में बैठी थीं लेकिन पीएम के बगल में बैठकर भी उनके चेहरे का भाव सहज और सामान्य नहीं प्रतीत हो रहा था.पीएम भी गंभीर मुद्रा में बैठे थे और दायें बैठीं वसुंधरा कभी बायें तो कभी दाएं तो कभी लोगों के हुजूम को देखकर नजरें घुमाती और पानी पीते देखी गयीं लेकिन उनके हाव-भाव में सामान्य भाव का अभाव साफ दिखाई पड़ रहा था.राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व को लेकर तमाम सवाल उठते रहे हैं. कहा जाता है कि सतीश पूनिया हों या वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी वसुंधरा की पसंद के नेता नहीं हैं. इतना ही नहीं केन्द्रीय नेतृत्व जिन नेताओं को तरजीह देता रहा है वो वसुंधरा विरोधी खेमे के माने जाते रहे हैं. इसलिए वसुंधरा बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ संबंधों को लेकर पिछले कुछ सालों से सवालों के घेरे में रही हैं.

पीएम के साथ वसुंधरा के हाव-भाव सहज क्यों नहीं दिखे ?

राजस्थान बीजेपी की इकाई में अंदरूनी लड़ाई और खींचतान सतीश पूनिया के नेतृत्व में बढ़ गया था ऐसा कहा जाता है. पार्टी के बड़े नेता पार्टी के कार्यक्रमों से दूर नजर आने लगे थे. वसुंधरा राजे इनमें आगे थीं. वो निजी कार्यक्रमों में सक्रिय लेकिन पार्टी के गतिविधियों से दूरी बनाकर चलने लगीं थीं. इसलिए पार्टी ने सीपी जोशी को आगे लाकर पार्टी के भीतर मचे घमासान को खत्म करने की कोशिश विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया है.मोदी-शाह सीपी जोशी के चुनाव पर अपनी पसंद की मुहर लगाकर कार्यकर्ताओं तक पैगाम भेज चुके हैं. पार्टी में विखराव को खत्म करने का ये प्रयास शीर्ष नेताओं द्वारा किया गया है. जोशी के पदभार ग्रहण समारोह में वसुंधरा समर्थक नेता भी इसी वजह से मौजूद थे.4 मार्च को वो नेता जो पार्टी के आंदोलन में जयपुर में मौजूद रहने की बजाय वसुंधरा राजे के जन्म दिन पर सालासर में अपनी वफादारी का सबूत दे रहे थे.वो नेता भी सीपी जोशी के पदभार ग्रहण के दिन राजधानी में बीजेपी की शोभा बढ़ा रहे थे.

वसुंधरा राजस्थान में अपना प्रभाव रखती हैं, इसलिए अपने प्रभाव की वजह से शीर्ष नेताओं की नजरों में चुभती भी रही हैं. ज़ाहिर है पिछले कुछ सालों में बढ़ी दूरियों को पाटने की कोशिश मौके की नजाकत को समझते हुए की जा रही है लेकिन वसुंधरा को लेकर पार्टी किस तर आगे बढ़ेगी इस पर सस्पेंस बरकरार है.

वसुंधरा के साथ रिश्तों में सुधार की कोशिश जारी

सालासर में वसुंधरा के जन्मदिन से चार दिन पहले 4 मार्च को बड़ा आयोजन किया गया था. इस मौके पर 52 विधायक,12 सांसद और सैकड़ों पूर्व सांसद , विधायक समेत तमाम प्रदेश के बड़े नेताओं की मौजूदगी वसुंधरा की ताकत का परिचय केन्द्रीय नेतृत्व तक पहुंचा चुका था. वसुंधरा की ताकत को देखते हुए प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह भी सलासर पहुंच गए थे जिससे राज्य में ये मैसेज न जा सके कि वसुंधरा बीजेपी के विरोध में जाने लगी हैं. कहा जाता है कि केन्द्रीय नेतृत्व वसुंधरा को साथ लेकर चलने के पक्ष में है. इसलिए प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह इस कवायद में जुट गए हैं. वहीं सीपी जोशी को सबको साथ लेकर चलने की हिदायत भी दी गई है.

रिश्ते मधुर करने को लेकर क्या है मजबूरी ?

राजस्थान में आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. नराज नेताओं को साथ जोड़ने का प्रयास शुरू हो चुका है. इसकी वजह मोदी-शाह का विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर परफॉरमेंस है. शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में गुटबाजी खत्म करने पर जोर दे रहा है. पिछले दिनों अमित शाह की सभा 15 अप्रैल को भरतपुर में हुई थी. इसमें अमित शाह के दफ्तर से ही वसुंधरा राजे को आमंत्रण भेजा गया था. भरतपुर में राजे की मौजूदगी से प्रदेश में मैसेज गया कि राज्य में वसुंधरा को नकार कर चुनाव में नहीं उतरा जाएगा.

अमित शाह हैलीकॉप्टर से उतरते ही पूर्व सीएम राजे और अध्यक्ष सीपी जोशी को अपनी गाड़ी में साथ बिठाकर गंतव्य स्थल पर ले गए थे. इसके बाद लोकसभा के प्रभारियों की बैठक में भी वसुंधरा राजे मौजूद थीं. सवाल वसुंधरा को साथ लेकर चलने का है, जिनसे बीजेपी के दिग्गज नेता पिछले कुछ सालों से दूरियां बनाने लगे थे. लेकिन वसुंधरा के प्रभाव को देखते हुए बीजेपी उन्हें अब साथ लेकर चलने का मन बना चुकी है

वसुंधरा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा अगला चुनाव?

वैसे वसुंधरा के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी ने साफ नहीं कहा है लेकिन उन्हें कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर चुनाव लड़ा जा सकता है.ऐसे में भैरो सिंह के बाद राज्य की इकाई में सर्वेसर्वा समझी जाने वाली वसुंधरा पार्टी हाईकमान के आगे कई बार कशमकश की स्थिती में रही हैं. इसलिए रिश्ते को सामान्य दिखा पाना अभी भी लोगों के बीच संभव नहीं हो पा रहा है.

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