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बीकानेरी युवा नशे की चपेट में आकर डूब चुका है। ख़ासकर डूबी के नशे ने बीकानेर को तबाही की राह पर लाकर छोड़ दिया है। डूबी यानी ज्वाइंट सिगरेट, इसे डूबस्केन भी कहा जाता है। हालांकि स्थानीय नागरिक इसे ज्वाइंट सिगरेट के नाम से ही जानते हैं। माना जाता है कि ज्वाइंट गांजे वाली सिगरेट है। मगर यह पूर्ण सत्य नहीं है। यह कैनाबिस से बनने वाली सिगरेट है। गांजे को खतरनाक कैमिकल के साथ परिष्कृत कर कैनाबिस तैयार होता है। इसे ही सिगरेट के रूप में नशेड़ियों तक पहुंचाया जाता है। कुछ समय पहले नशे के खिलाफ मुहीम छेड़ी तो नशा तस्करों को इधर उधर होना पड़ा। पुलिस भी जबरदस्त तरीके से हरकत में आई, परिणामस्वरूप कई नशा तस्करों को जेल जाना पड़ा तो कई वांछित तस्कर आज भी पुलिस के भय से छिपते फिर रहे हैं। अब फिर से नशा उफान पर है। बीकानेर में पनप रहे नशे के ठिकानों का पर्दाफाश किया जाएगा।

बीकानेर में फिर से ज्वाइंट सिगरेट का काला बाजार गर्म है। यहां चप्पे चप्पे पर ज्वाइंट सिगरेट मिल रही है। बाजारों में पान व चाय की दुकानों में यह सिगरेट आसानी से मिल रही है तो कुछ परचून के दुकानदार भी यह काला काम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त भी कई स्थानों पर ज्वाइंट मिल रही है। विक्रेता साठ रूपए में यह सिगरेट ग्राहक को बेचता है। पता चला है कि ज्वाइंट सिगरेट के मामले में नयाशहर थाना क्षेत्र सबसे आगे है। यहां खुल्लमखुल्ला ज्वाइंट मिल रही है। बड़ी तादाद में युवा व नाबालिग नशीले पदार्थ से भरी यह सिगरेट पी रहे हैं। नयाशहर थाना क्षेत्र के जस्सूसर गेट, मुरलीधर, नत्थूसर के पास, मोहता चौक, पूगल रोड़, बंगला नगर, विश्नोई बास, भाटों का बास, करमीसर रोड़, मुक्ताप्रसाद, कोठारी अस्पताल के पास सहित विभिन्न पॉइंट्स पर यह सिगरेट मिल रही है। इसके अतिरिक्त सदर, जयनारायण व्यास कॉलोनी, कोटगेट, गंगाशहर, नापासर, बीछवाल, नाल सहित हर थाना क्षेत्र में ज्वाइंट मिल जाती है। ज्वाइंट की उपलब्धता के मामले में सदर का नंबर दूसरा है। बताया जाता है कि साठ रूपए में मिलने वाली यह सिगरेट डेढ़ सौ रुपए में तीन मिलती है।

वरदान अस्पताल के एमडी व मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ असवाल के अनुसार ज्वाइंट सिगरेट पीना मतलब ज़िन्दगी तबाह करना है। शुरुआत में उल्टी चक्कर जैसे सामान्य लक्षण होते हैं मगर प्लेजर मिलने पर नशेड़ी इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देता। धीरे धीरे ज्वाइंट के दुष्प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने लगते हैं। असवाल के अनुसार ज्वाइंट इतनी खतरनाक है कि इसका नशा करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे पागलपन का शिकार होने लगता है। उसकी पाचन शक्ति कमजोर होने लगती है। आंतें, लीवर व किडनी भी खराब होते हैं।

डॉ सिद्धार्थ ने बताया कि अधिकतर व्यक्ति विभिन्न तरह के तनाव से दूर होने के लिए ज्वाइंट सिगरेट पीते हैं। वह समझते हैं कि इससे तनाव दूर हो गया है। दरअसल, यह नशा व्यक्ति की नशों का सेंसेशन ही खत्म कर देता है। ऐसे में उसको दुख की अनुभूति नहीं हो पाती। वह सुन्न हो जाता है, उसे आनंद की अनुभूति होने लगती है। वह समझता है ज्वाइंट से टेंशन खत्म हो जाएगा मगर ऐसा होता नहीं है। असवाल कहते हैं कि नशा मुक्ति के लिए समाजों को आगे आना चाहिए। इसका इलाज पूर्णतया संभव है। डॉ सिद्धार्थ कहते हैं कि उनके पास बहुत से मरीज नशामुक्त हो रहे हैं।बता दें कि बीकानेर के हजारों हज़ारों युवा हर रोज़ 2-3 ज्वाइंट पी रहे हैं। हालात यह है कि वह ना तो काम धंधा कर पा रहे हैं, ना ही पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर पा रहे हैं।

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