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बीकानेर,राजस्थान में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में राजपूत समाज के नेताओं में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है।

पार्टी सूत्रों की मानें तो जयपुर राज परिवार से जुडी राजसमंद सांसद दिया कुमारी प्रदेश में खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट कर रही हैं। हांलाकि पार्टी के भीतर राजपूत समाज से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ जैसे दिग्गज नेता मौजूद हैं। बावजूद इसके पार्टी से जुड़े युवा राजपूत चेहरे मुख्यमंत्री पद की आस लगाकर खुद की लॉबिंग तेज कर रहे हैं। राजनीति के जानकारों की माने प्रदेश में संजीवनी घोटाले के चलते केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का पार्टी के भीतर प्रभाव कमजोर हुआ है। वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। लेकिन उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक हो चुकी है। ऐसे में दिया कुमारी अलग-अलग माध्यमों के जरिए अपना नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे करवा रही हैं। चर्चा है कि सांसद दिया कुमारी आरएसएस से जुड़े कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में भी हैं।

जयपुर राज परिवार की सदस्य हैं दिया कुमारी

राजसमंद से सांसद दिया कुमारी जयपुर राज परिवार की सदस्य हैं। दिया कुमारी राजसमंद से सांसद हैं और सवाईमाधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। दिया कुमारी युवा होने के साथ आकर्षक व्यक्तित्व की धनी भी हैं। चर्चा है कि सांसद दिया कुमारी आरएएस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। लेकिन पार्टी और संगठन के भीतर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं मानी जाती है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक उनके द्वारा अपनी ही गोत्र में विवाह करने से राजपूत समाज की नाराजगी अभी भी बरकरार है। यह नाराजगी उनकी सीएम पद की दावेदारी में बड़ी बाधा भी बनेगी। राजनीति के जानकार यह भी बताते हैं कि राजस्थान के अन्य समुदायों में राज परिवारों के लोगों की स्वीकार्यता उतनी नहीं है। वसुंधरा राजे को अपवाद स्वरूप देखा जा सकता हैं। लेकिन यहां की जनता राज परिवार को लोगों को उतना पसंद नहीं करती।

राज्यवर्धन राठौड़ युवा खिलाडी, लेकिन असरदार नेता नहीं

जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन राठौड़ भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। राज्यवर्धन राठौड़ युवा होने के साथ ही बेहतरीन खिलाड़ी भी हैं। सांसद होने के नाते दिल्ली से भी उनका जुड़ाव रहता है। लेकिन उनकी संगठन पर इतनी मजबूत पकड़ नहीं मानी जाती है। पार्टी के भीतर वे असरदार छवि बनाने में सफल नहीं हो पाए।

संजीवनी घोटाले में घिरे गजेंद्र सिंह शेखावत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाले के आरोप लगाकर प्रदेश की राजनीति में उनका असर कमजोर कर दिया है। गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से सांसद हैं। शेखावत सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को चुनाव हराकर जोधपुर से सांसद बने थे। अभी वे केंद्र सरकार में जल शक्ति मंत्री हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। लेकिन वे भी पार्टी और संगठन पर उतनी पकड़ नहीं बना पाए।

राजेंद्र राठौड़ बड़े नेता लेकिन प्रभावशाली नहीं

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पार्टी में वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। पार्टी ने उन्हें वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर ही नेता प्रतिपक्ष बनाया है। विधानसभा में भी उनका बेहतरीन प्रदर्शन रहता है। लेकिन राजेंद्र राठौड़ प्रदेश में अपना वर्चस्व उतना बड़ा वर्चस्व नहीं बना पाए हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि पार्टी के भीतर वरिष्ठ और मजबूत नेता हैं। छह बार विधायक रह चुके हैं। राठौड़ अपने अनुभव के साथ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार भी हैं। लेकिन राजेंद्र राठौड़ ने हमेशा बड़े नेताओं की सरपरस्ती में सियासत की है। भैरों सिंह शेखावत की सरकार में शेखावत के साथ और वसुंधरा राजे की सरकार में वसुंधरा की सरपरस्ती में राजनीति की है। प्रदेश की राजनीति में वे उतना प्रभाव नहीं बना पाए।

राजपूत समाज के सर्वमान्य नेता हैं देवी सिंह भाटी

बीकानेर के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी भले ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हो। लेकिन वे राजपूत समाज के असरदार और सर्वमान्य नेताओं में से एक हैं। राजपूत समुदाय में आज भी उनकी बात को तरजीह दी जाती है। राजनीति से इतर वे राजपूत समाज के उन नेताओं में शुमार हैं। जिन्हें समाज खुद अपना नेता मानता है। लेकिन अपने गुस्सैल स्वभाव और पार्टी छोड़ने की वजह से वे राजनीति में पिछड़ गए हैं।

प्रदेश में जमीनी स्तर पर पकड़ रखने वाली नेता वसुंधरा राजे

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर रही हैं। वसुंधरा राजे की प्रदेश में जमीनी पकड़ है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उन्हें तरजीह देता है। इसके साथ ही दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहने से उन्हें राजनीति का बेहतर अनुभव है। वसुंधरा राजे मध्यप्रदेश के सिंधिया राज परिवार से आती है। लेकिन राजस्थान के धौलपुर में जाट राज परिवार में उनका विवाह हुआ है। इस नाते राजस्थान से बहू के तौर पर गहरा रिश्ता है। राजपूत समाज ने वसुंधरा राजे को बेटी और गुर्जर समुदाय ने समधिन के तौर पर उन्हें स्वीकार कर लिया है।

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