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बीकानेर के सिंघम के नाम से मशहूर बीकानेर संभागीय आयुक्त डा. नीरज के. पवन ने उपनगरीय क्षेत्र गंगा शहर स्थित सेटेलाइट अस्पताल के आगे से स्वयं ने मौके पर जाकर चौथी बार सब्जी, फल और अन्य ठेले हटाए। आज भरी दोपहरी में संभागीय आयुक्त ने उन्हीं ठेले को फिर से हटाया जो वे खुद ही पहले कई बार हटा चुके हैं। जब पहली बार ठेले हटाए गए तो गंगाशहर के मोजिज व्यक्ति कन्हैया लाल बोथरा को लेकर पीड़ित लोग कलक्टर एवं न्यास अध्यक्ष पास गए। शिष्ट मंडल ने लिखित में दिया कि न्यास उनको सब्जी फल बेचने के लिए आस पास व्यावसायिक मूल्य पर जमीन दें। वे सभी अस्पताल के आगे से अपने ठेले हटा लेंगे। कलक्टर के जूं नहीं रेंगी। ऐसे ही कलक्टर एवं व्यास अध्यक्ष को मोहता सराय पर चार सड़क मार्गों के बीच चौराह बनाने का भी लिखित में दिया गया। कुछ भी नहीं किया। इस मार्ग पर ट्रक की चपेट से एक युवा की मौत के बाद सर्किल बनाने की बजाए लोहे गाडर लगा दिए जो अनुपयुक्त होने से जनता उखाड़ फेंके। न्यास अध्यक्ष एवं कलक्टर की क्या जिम्मेदारी है ? बताने की जरूरत है क्या।

वो व्यक्ति, जिन्होंने बीकानेर की सूरत और सीरत बदल दी।जिसने, इस दीपावली पर शहर के बाशिंदों के लिए रेड कारपेट बिछा दिया। जिसने सरकारी विभागों की दीवारें तुड़वाकर जनता के लिए रास्ते चौड़े कर दिए। अतिक्रमण हटवाकर शहर को सुंदर बना दिया, चौराहों को चमका दिया,बस स्टॉप बनवा दिए। बीकानेर के सिंघम के नाम से मशहूर बीकानेर संभागीय आयुक्त डा नीरज के पवन जो कर रहे हैं उसमें कलक्टर का भी जनहित में कोई इनपुट तो हो सकता ही है। अगर नगर विकास न्यास समस्या के रूट में जाकर जो हो सकता है वो कर दें तो कुछ समाधान तो निकलें। गंगा शहर में सब्जी मंडी की मांग पुरानी है। समाधान न्यास के पास है अगर करने की इच्छा शक्ति हो तो। जो न्यास नगर में जरूरत का चौराहा विकसित नहीं कर सकती। व्यावसायिक दर पर सब्जी फल के ठेले वालों को जगह नहीं दे सकती तो नगर विकास न्यास करती क्या है ? कलक्टर अगर आयुक्त के एक्शन को फॉलो करते तो एक ही स्थान पर संभागीय आयुक्त को चार बार खुद को जाकर ठेले नहीं हटाने पड़ते। सवाल न्यास के नकारेपन का नहीं है। इससे आगे भी कई सवाल उठते हैं। कलक्टर पद की भी तो कोई जिम्मेदारी होगी। राजनीति सुषुप्त पड़ी है। कांग्रेस सरकार अपने चुनावी एजेंडे में व्यस्त है। ऐसे में कोन एहसास करवाएं की कलक्टर को अपनी पूरी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ऐसे में तो जो सार्थक प्रयास है वो भी निरर्थक होते जा रहे हैं! धन्य हो नगर विकास न्यास।

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