बीकानेर, कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य व संस्कृति अत्यंत समृद्ध है, इसका गौरवमयी इतिहास रहा है। राजस्थानी भाषा का शब्दकोश काफी विशाल है। राजस्थानी में प्रचुर संख्या में कहावतें-मुहावरे प्रचलित हैं।
डॉ. कल्ला सोमवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी सभागार में अकादमी नियम-उपनियम निर्माण व संशोधन समिति की बैठक को संबोधित कर रह थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी संस्कृति विश्व प्रसिद्ध है। अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा-साहित्य के उन्नयन के साथ-साथ संस्कृति के क्षेत्र में भी गंभीरता से प्रयास किए जाएं। डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के विकास व सशक्तीकरण के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अकादमी की मुखपत्रिका जागती जोत में समय-समय पर महापुरुषों के व्यक्तित्व-कृतित्व पर आधारित विशेषांकों का प्रकाशन किया जाता है, जो सराहनीय है।
इस दौरान डाॅ. कल्ला ने साहित्यकारों के साथ राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार व अकादमी की भावी गतिविधियों के संबंध में विचार-विमर्श किया।
अकादमी अध्यक्ष शिवराज छंगाणी की अध्यक्षता में अकादमी नियम-उपनियम निर्माण समिति की बैठक आयोजित हुई। छंगाणी ने बताया कि अकादमी की विभिन्न गतिविधियां पूर्ण पारदर्शिता व नियमानुसार संपन्न हो सकें, इसके लिए इस समिति की बैठक आयोजित की गई।
अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि बैठक में अकादमी पुरस्कार-सम्मान, संविधान, विभिन्न योजनाएं, प्रकाशन सहयोग, कार्यालय व्यवहार, नियम-उपनियम आदि की समीक्षा की गई।
इस दौरान अकादमी उपाध्यक्ष डॉ. भरत ओला, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र जोशी, राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण, राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल साहित्य अकादमी, दिल्ली के पूर्व संयोजक डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल व मधु आचार्य आशावादी, पूर्व अकादमी अध्यक्ष श्याम महर्षि ने नियमों के निर्माण-संशोधन के संबंध में महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये।