बीकानेर संभाग मुख्यालय की दोनों विधानसभा सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है। बीकानेर पश्चिम की सीट कांग्रेस के डा. बी डी कल्ला ने अपनी राजनीतिक दक्षता के चलते भाजपा के लगातार दो बार विधायक रहे गोपाल जोशी से वापस जीती है। कल्ला राजनीति के खिलाड़ी है। राजस्थान सरकार में भी उनका बड़ा कद है। उनको राजनीति का अनुभव भी और राजनीति के गुर भी जानते है। वे हर तरह से समर्थ नेता है। उनकी अपने विधानसभा क्षेत्र में गहरी पकड़ भी बरकरार है। पार्टी के भीतर उनके सामने इस बार फिर चुनौती है। गहलोत पायलट गुटबाजी का असर बीकानेर में कांग्रेस की राजनीति पर गहराता जा रहा है। सचिन पायलट गुट के राज कुमार किराडू कल्ला के लिए टिकट में चुनौती बन रहे है। किराडू जनता के बीच के धरती से जुड़े व्यक्ति है। किराडू के अपने उच्च स्तरीय राजनीतिक रिलेशन है। हालांकि कल्ला और किराडू की पॉलिटिकल हाईट में बड़ा अंतर है। फिर भी स्थानीय राजनीति पर किराडू ने खुद को साबित करने की कोशिश की है। किराडू ने हाल ही में अपने जन्म दिन के बहाने अपनी राजनीतिक ताकत दिखाकर चुनाव लडने की अभिव्यक्ति क्षेत्र की जनता को दे दी है। किराडू कांग्रेस के लिए कल्ला के स्थान पर बीकानेर पश्चिम विधानसभा के लिए एक विकल्प जरूर है। यही नहीं मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा इसी विधान सभा सीट पर व्यापक जन संपर्क में पिछले कई महीनों से लगे हुए है। लोकेश शर्मा के इस जन सम्पर्क अभियान के पीछे क्या राजनीतिक मंतव्य छिपा समय आने पर ही उजागर होना है। हालांकि उनके निकट के लोग यह बात खुले आम कहते है कि लोकेश शर्मा बीकानेर पश्चिम से चुनाव लडेंगे। बीकानेर स्थापना दिवस और परशुराम जयंती पर उनकी उपस्थिति चुनाव अभियान का हिस्सा ही लग रही थी। इस सीट पर कांग्रेस भी प्रत्याशी को लेकर उलझन में जा सकती है। भाजपा में जोशी परिवार में गोकुल जोशी, और अविनाश जोशी, महावीर रांका, महेश व्यास, जेठानंद व्यास समेत कई नाम उभरते रहे हैं। कल्ला और कांग्रेस के सामने बीकानेर पश्चिम में भाजपा के चर्चा में आए पहली बार चुनाव मैदान में आ सकते है। उनके के खुद के लिए चुनाव चुनौती है। भाजपा का जो भी प्रत्याशी आएगा निश्चय ही नया चेहरा होगा। उसे कई मोर्चों पर जूझना पड़ेगा। डा. बी डी कल्ला को पार्टी के भीतर से इस बार उतनी ही चुनौती है जितनी भाजपा से जीत पाने की। अब कांग्रेस और भाजपा की चुनावी बिसात बिछाई जा रही है। दोनों पार्टियों ने हर स्तर पर मोर्चा मजबूत करना शुरू कर दिया है। राजनीतिक बिसात की तस्वीर साफ होना अभी बाकी है।
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