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बीकानेर,फर्जी तरीक से चल रही पैथोलॉजी लैबों पर अब राज्य सरकार की ओर से बड़े एक्शन की तैयारी चल रही है। इसे लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के मुरारीलाल मीणा के निर्देश पर बीकानेर समेत प्रदेशभर में चल रही पैथोलॉजी लैबों की जांच कर उनकी कुण्डली खंगाली जायेगी और फर्जी मिलने पर कार्यवाही की जायेगी। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार को पिछले दिनों की शिकायत मिली थी कि प्रदेशभर हजारों की तादाद में ऐसी पैथॉलोजी लैब्स चल रही है,जो ना सिर्फ गैर रजिस्टर्ड है बल्कि इनका संचालक नोसिखिए लैब असिस्टेंट कर रहे है। इनमें कई तो महज हायर सैकेण्ड़ी पास भी नहीं है । जिसके चलते यहां लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। जानकारी में रहे।चिकित्सा हॅब बने बीकानेर में तकरीबन पांच सौ से ज्यादा निजी जांच लैब हैं। इनमें अधिकांश लैब का रजिस्ट्रेशन नहीं है। मतलब यह कि बीकानेर में ज्यादात्तर पैथोलॉजी लैब अवैध रूप से चल रहे है । इसकी पुख्ता तौर पर जानकारी होने के बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग लापरवाह बना हुआ है। जिले में बीते पांच सालों में जांच लैब की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से ज्यादात्तर पैथोलॉजी लैब पीबीएम होस्पीटल के आस पास ही संचालित हो रहे है। जहां जांच के लिये रोगियों की भीड़ लगी रहती है। जानकारी में रहे कि पैथोलॉजी लैब की जांच रिपोर्ट पर ही मरीजों का इलाज शुरू होता है। यह जांच करने वाली लैब का ही कोई रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। ऐसे में वो कितने मापदंडों का पूरा कर रहे हैं या नहीं? इसकी जांच तक नहीं की जा रही है।

चिकित्सा विभाग नहीं दिख रहा गंभीर
पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के उस निर्णय को सही माना था जिसमें पैथोलॉजी लैब में पीजी की योग्यता धारकों द्वारा ही जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर को जरूरी बताया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कहा है कि यदि किसी लैबोरेट्री में रिपोर्ट पीजी पैथोलॉजिस्ट की ओर से हस्ताक्षरयुक्त नहीं है तो उस स्थिति में उस रिपोर्ट को गलत माना जाएगा। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट देने वाली लैबोरेट्रीज को तत्काल बंद कर देना चाहिए। मगर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग इस मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है।

पैथोलॉजी लैब के लिए यह है नियम
नियमों के अनुसार पेथोलॉजी लैब को क्लिनीकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक है। पैथोलॉजी लैब को क्लिनीकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) नियम 2013 एवं केन्द्र सरकार के नियम 2018 के तहत पंजीयन करवाना अनिवार्य है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण किए जाते रहे हैं। मनमानी फीस वसूली पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं मरीजों को बेहतर जांच सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से इस तरह की व्यवस्था की गई। रजिस्ट्रेशन अनिवार्यता प्रावधान के तहत पैथोलॉजी लैब को पहले प्रोविजनल और बाद में स्थायी पंजीकरण कराना जरूरी है। प्रोविजनल पंजीकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में किए जाते हैं। इसके अलावा पेथोलॉजी रिपोर्ट में साइन करने के लिए पैथोलॉजिस्ट का लैब में रहना जरुरी है। केवल डिजिटल हस्ताक्षर से पैथोलॉजिस्ट की रिपोर्ट मान्य नहीं। एमबीबीएस और दूसरे विभागों से एमडी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे। लैब टेक्नीशियन जांच रिपोर्ट पर साइन नहीं कर सकते।

यह होती हैं जांच
पैथ लैब में खून, आरबीसी, ईएसआर, प्लेटलेट्स काउंट, सीबीसी, ब्लीडिंग टाइम, क्लोटिंग टाइम, हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप व टीईसी की जांच होती है।

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