बीकानेर में सात विधानसभा क्षेत्रों में से अभी तीन कांग्रेस, एक कांग्रेस समर्थित माकपा और तीन बीजेपी के कब्जे में है। बीकानेर पूर्व की सीट जब से नया विधानसभा क्षेत्र घोषित हुआ। बीजेपी से राजघराने की सिद्धि कुमारी जीतती आई है। इस सीट पर भाजपा के लोग सिद्धि कुमारी, अखिलेश प्रताप सिंह, मोहन सुराणा को अगले चुनाव में दावेदार मान रहे हैं। वैसे स्वयंभू दावेदारों की लंबी लिस्ट है। सब नेता अपने अपने हिसाब से चहेतों को टिकट दिलाने के जुगाड में लगे हैं। भाजपा के एक बड़े नेता ने तो तीन बार लगातार सिद्धि कुमारी की जीत के बावजूद कइयों को इस सीट से टिकट दिलाने का आश्वासन दे रखा है। सिद्धि कुमारी ने इस सीट पर चुनाव लडने की फिर से तैयारी शुरू कर दी है।
पिछले दिनों भाजपा विधायक सिद्धि कुमारी की दादी और राजमाता के देहांत पर शोक जताने गए बीकानेर से सांसद और केंद्रीय मंन्त्री अर्जुन राम मेघवाल ने शोक बैठक में ही सिद्धी कुमारी से पूछ बैठे कि सुना है आप चुनाव नही लड़ रहे है, मंन्त्री के इतना पूछते ही बाई सा का पारा आसमान पर चढ़ गया। सिद्धी कुमारी ने कहा बताते हैं कि उन्होंने मंत्री से पूछा आपको किसने कहा ? जिसने कहा मेरे सामने लाइये। मंन्त्री जी बाई सा का तेवर देख कर थोड़े झेप गए। जवाब दिया बाजार में चर्चा है,…सुरेंद्र के पोस्टर लगे है आदि जवाब में बगले झांकने लगे।
बाई सा ने सख्त हो कर पूछा सुनी सुनाई बात म्हारे आगे क्यों करो, मैं तो कीने कही कोनी, थें और थारा आदमी फैला रिया है। बाई सा किसी बजाज ग्रुप के आने का हवाला दे कर शोक बैठक से उठकर चली गई। इस बात से रूष्ट विधायक सिद्धि कुमारी ने परिवार में शोक के बावजूद पिछले सप्ताह कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेकर चुनावी तैयारी में जुटने का संकेत दिया। इस सीट पर कांग्रेस सभी प्रयासों के बावजूद जीत हासिल नहीं कर पाई है। अभी एआईसीसी, पी सी सी और मुख्यमंत्री गहलोत की वन टू वन हुई बातचीत में कांग्रेस ने बीकानेर पूर्व सीट को तवज्जो दी है। इस सीट पर कांग्रेस से डा. तनवीर मालवत , गोपाल गहलोत और कन्हैया लाल झंवर चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस मुस्लिम, माली और बनिए पर दांव खेल चुकी है। अब राजपूत पर दांव लगाया जा सकता है। भले सिद्धि कुमारी तीन बार जीती, राजघराने से हो पर भी जनता में उनकी छवि निष्क्रिय विधायक की है। सिद्धि कुमारी खुले तौर पर वसुंधरा राजे से जुड़ी है तो सांसद अर्जुन राम मेघवाल और उनके समर्थक सिद्धि कुमारी के विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में सिद्धी कुमारी के सामने कांग्रेस कोई राजपूत चेहरा उतारे तो भाजपा को चुनौती मिल सकती है।