बीकानेर नगर स्थापना दिवस आखा बीज के अवसर पर मल्टी स्किल डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा “धार्मिक एवं आध्यात्मिक शहर- बीकानेर” विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा की अध्यक्षता वयोवृद्ध चिकित्सक व साहित्यकार डॉक्टर शंकरलाल स्वामी ने की। मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी थे। परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. शंकरलाल स्वामी ने कहा कि बीकानेर नगर के परकोटे के भीतर के लोगों का जीवन सामान्यतः अत्यंत धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति का है । उन्होंने अनेक साधु संतों के प्रवचनों के उदाहरण दिए। डॉ.स्वामी ने एक संत बद्रीनाथ जी का उदाहरण देते हुए बताया कि बद्रीनाथ जी, नाथ संप्रदाय के कनफाड़ा साधु थे। नत्थूसर गेट के बाहर करमीसर मार्ग के बांई ओर उनकी बगेची है।डॉ.स्वामी ने कहा संत बद्रीनाथ जी अपने समय 1950 से 1960 के दशक के बीकानेर के प्रसिद्ध, सिद्ध संत हुए थे। बीकानेर नगर के हर वर्ग के लोग इनकी सरलता और सेवा, भक्ति भाव और उचित परामर्श से प्रभावित हुए । उन्होंने कहा कि संत बद्रीनाथ जी के आशीर्वाद से इनके भक्त गण लाभान्वित हुए। दूर दूर से संत लोग भी इनसे मिलने आते थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार प्रकट करते हुए प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि आज के शुभ दिन बीकानेर के धार्मिक- आध्यात्मिक स्वरूप की चर्चा करना समीचीन है । उन्होंने कहा कि बीकानेर धार्मिक- आध्यात्मिक शहर के रूप में सम्पूर्ण भारत में विशिष्ट स्थान रखता है। प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने कहा कि बीकानेर शहर के लोग सीधे साधे, मस्त-मौला, प्रेम-प्यार, धार्मिक सद्भावना, एकता व सादगी की जिन्दगी जीने वाले लोग हैं । उन्होंने इसे एक कविता के रूप में कि-बीकानेर की गंगा-जमुनी संस्कृति को अक्षुण रख लेना, मैं तुम्हारे लिए रोजा रखूं, तुम मेरे लिए नवरात्रा रख लेना । इस परिचर्चा में अन्य अनेक विद्वानों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
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