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बीकानेर, गर्भावस्था के दौरान कमजोरी, खून एवं पौष्टिक आहार की कमी के चलते हर साल सैकड़ों बच्चे गर्भ में ही दम तोड़ देते हैं। पीबीएम अस्पताल के रिकॉर्ड डरावना है लेकिन हकीकत है। गर्भ में पल रहे बच्चों को बचाने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम कोशिशें की जा रही है। पिछले आठ महीने में पीबीएम अस्पताल में तकरीबन चार सौ बच्चों की गर्भ में मौत हुई है। यह आंकड़े तो केवल सरकारी पीबीएम अस्पताल के हैं। निजी अस्पतालों में भी ऐसे कई बच्चों की मौत हो रही है, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं हैं।

इसलिए हो रहा ऐसा
पिछले कुछ सालों से खानपान में बदलाव आया है। खेती में कीटनाशक का उपयेाग बढ़ा है। ऐसे में खाद्य सामग्री भी पौष्टिक नहीं है। दूध, गेहूं, फल-सब्जियां सभी में मिलावट होने से खानपान का स्तर गिरा है। गर्भावस्था के दौरान पूर्ण पौष्टिक भोजन नहीं लेने से महिलाओं में खून की कमी, कमजोरी व वजन कम होने की शिकायत बढ़ रही है, जिसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर पड़ रहा है।

इतने बच्चों की गर्भ में हुई मौत
पीबीएम अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल ६६६ बच्चों की गर्भ में मौत हुई थी जबकि इस साल अब तक ३९८ बच्चों की मौत हो चुकी हैं। इनमें भी सर्वाधिक मई माह में ७८ एवं सबसे कम अप्रेल माह में ३६ बच्चों की मौत हुई। जनवरी में ४९, फरवरी में ५०, मार्च में ४४, अप्रेल में ३६, मई में ७८, जून में ४१, जुलाई में ४६ व अगस्त में अब तक ४४ बच्चों की गर्भ में मौत हो चुकी हैं।

औसतन दो बच्चों की मौत
पीबीएम अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक पीबीएम अस्पताल में हर दिन औससन एक बच्चे की गर्भ में मौत हो रही है। पिछले साल पीबीएम के जनाना अस्पताल में १५ हजार ६६६ बच्चे पैदा हुए, जिसमें से ६६६ की गर्भ में ही मौत हो गई। वहीं इस साल अब तक ९ हजार १७० बच्चे पैदा हुए, जिसमें से ३९८ की गर्भ में ही मौत हो गई। हर साल गर्भ में सैकडों बच्चों की मौत चिंता की बात है।

गर्भधारण करने के बाद महिलाओं को नियमित चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। भोजन में पौष्टिक आहार लेवें। गर्भ में पल रहे बच्चे की मां ही चिकित्सक होती है। खाने में ऐसी चीजों का अधिक सेवन करें, जिससे कमजोर न हो और वजन भी ना बढ़े। गर्भ में पल रहे बच्चों की मौत चिंता का विषय है। कई बार गर्भवती महिल की लापरवाही से बच्चों की जान पर बन आती है। गर्भवती महिलाएं किसी तरह की लापरवाही न बरतें।
डॉ. संतोष खजोटिया, विभागाध्यक्ष गायनिक विभाग पीबीएम अस्पताल

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