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बीकानेर,नियम कायदों पर सख्ती और नियमित मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण बीकानेर की आवासीय कॉलोनियों और रिहायशी मौहल्लों में बिना अनुमति कॉमर्शियल भवन निर्माण का खेल चल रहा है। जिन लोगों ने ऐसे भवन का निर्माण कर लिया है, उनको नोटिस जारी किए लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं हो पाया है। पिछले दो साल से नगर निगम और नगर विकास न्यास प्रशासन ने बिना अनुमति कॉमर्शियल भवन निर्माण करने वालों को सीज करने की प्रक्रिया से भी हाथ खींच लिया है। इस कारण निगम और नगर विकास न्यास क्षेत्र में अब तक एक भी भवन पर पेनल्टी तक नहीं लगाई है। इतना ही नहीं कॉमर्शियल भवनों में पार्किंग स्थल का निर्माण के लिए किसी भी शोरूम संचालक ने पालना नहीं की है। इस कारण शहर की अनेक कॉलोनिया और मौहल्ले अब बाजार में तब्दील हो गये है। जहां सडक़ मार्ग पर वाहनों के जाम लगना आम बात हो गई है। जानकारों की माने तो अधिकांश लोग अनुमति सिर्फ आवासीय भवन बनाने की ले रहे हैं। इसमें अधिकांश अनुमति ऊंचती दी जा रही है। निगम और न्यास प्रशासन से अनुमति लेने के लिए वे ही भवन मालिक आ रहे हैं जिनको बैंकों से कर्जा लेकर निर्माण करवाना है।

आवासीय निर्माण की अनुमति में कम फीस
आवासीय और व्यावसायिक भवनों की अनुमति के लिए नगर परिषद और यूआईटी ने अलग अलग शुल्क तय किए हुए हैं। आवासीय भवन निर्माण में मलबा फीस पांच से सात सौ रुपए है जबकि व्यावसायिक भवन के लिए यह मलबा फीस करीब पांच हजार रुपए तय की हुई है। व्यावसायिक भवन की अनुमति में भू उपयोग परिवर्तन शुल्क, पार्किंग, वाटर हार्वेस्टिम सिस्टम निर्माण जरूरी है। भू-उपयोग परिवर्तन का शुल्क करीब डेढ़ लाख से नौ लाख रुपए तक वसूली की जाती हैं। सैटबैक आदि के नियम कायदों की पालना करते हुए भवन निर्माण की अनुमति दी जाती है।

न्यास और निगम के पास आंकड़े तक नहीं
नगर विकास न्यास और नगर परिषद प्रशासन के पास यह तक आंकड़ा नहीं है कि उनके क्षेत्र में कितने भवन निर्माण संचालित हो रहे है। जनप्रतिनिधियों और आला अफसरों के सिफारिशी फोन आने पर इन दोनों संस्थाओं के अभियंताओं की टीम भी भवन निर्माण स्थल पर जांच करने के लिए नहीं जाती। यहां तक कि नगर निगम के पास सफाई निरीक्षक की ओर से दी जाने वाली भवन निर्माण की सूचना की भी अनदेखी हो रही है। फीडबैक मिलने के बावजूद एक्शन की बजाय चुप्पी साधी जा रही है।

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