बीकानेर,गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह में गोमय क्रांति का आव्हान किया गया। यानि गोबर और गोमूत्र से देश में गो आधारित कृषि और विकास की नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। इसका बीकानेर मॉडल भी पेश किया गया। सुनो गहलोत सरकार सुनो। जिले के हर गांव में प्रशिक्षित लोगों को खाद उत्पादन केंद्र खोलने का संकल्प भी दिलाया गया। आजादी के बाद हरित क्रांति और धवल ( दुग्ध क्रांति) से सकल कृषि उत्पादन और दूध उत्पादन से अच्छे परिणाम आ चुके हैं। देश खुशहाल है। गोमय क्रांति से गोपालक को गोबर गोमूत्र का पैसा मिले गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बन जाए। तब खुशहाली और बढ़ जाएगी। गोबर गोमूत्र से खेती करने से रसायनिक खेती का विकल्प किसान के हाथ में रहेगा। खेती पर लागत कम आएगी। खाद्यान्न में रसायनों का दुष्प्रभाव घटेगा, पर्यावरणीय दुष्प्रभाव कम होंगे। मृदा और मानव स्वास्थ्य ठीक होगा। प्रकृति चक्र संतुलित रहेगा। इस मायने में गोमय क्रांति को नए युग के सूत्रपात के रूप में देखा जा रहा है। यह कपोल कल्पना नहीं हैं हमारा विज्ञान, परंपरागत ज्ञान इसके प्रमाण दे रहा है। विज्ञान तो कहता टिकाऊ खेती के लिए गोबर गोमूत्र वरदान है। बीकानेर में गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह में वेटरनरी वि वि, कृषि वि वि, कृषि विभाग, पशु पालन विभाग, गोपालन विभाग, इस मुद्दे पर वैचारिक क्रांति का काम करने वाली संस्था राजस्थान गो सेवा परिषद एक स्वर में गोबर गोमूत्र की उपादेयता को व्यवहार में लाने पर सहमत रहे। गोबर, गोमूत्र जैव ऊर्जा का सतत स्त्रोत है। इस ऊर्जा का कृषि में उपयोग से नया उद्यमिता सैक्टर बन सकता है। सौभाग्य से राज्य सरकार और केंद्र सरकार गोबर गोमूत्र का कृषि में उपयोग की नीति बना रही है। गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह के मंच से विषय विशेषज्ञों और गोपालकों की तरफ से कही गई बातों को मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, गोपालन मंत्री, गो सेवा आयोग अध्यक्ष को सुनना और समझना चाहिए। उनकी यह जिम्मेदारी है। सरकार की उपलब्धियां और योजनाओं के बाहर भी कुछ अच्छा कल्याणकारी काम हो रहा है। गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह में पेश बीकानेर मॉडल को सरकार लागू करें तो गोपालक और गाय का भला होगा। राज्य की इकोनोमी में नया सैक्टर जुड़ेगा। गायों का संवर्धन और गोपालक को संबल मिलेगा। तब गोमय कांति को भी गहलोत सरकार अपनी उपलब्धियों में शामिल कर सकती है। यह विज्ञान सम्मत है और उद्यमिता का नया क्षेत्र है। सब मिलकर समाज हित और गो संवर्धन की भावना से ये कार्य करें तभी जल्दी फलीभूत हो सकेगा। अकेली सरकार, संस्थाएं या केवल गोशालाओ के बूते की बात नहीं हैं। गोपालक, किसान, सरकार, संस्थाएं सब मिलकर करें तो क्रांति हो सकेगी।
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