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बीकानेर,सोह्म पीठाधीश्वर, वृृंदावन के स्वामी सत्यानंदजी महाराज ने कहा कि माता-पिता बच्चों में सनातन धर्म व भारतीय संस्कृृति के संस्कार दें। पाश्चात्य धर्म व संस्कृृति ंसे स्वयं दूर रहते हुए आने वाली पीढ़ी को दूर रखें। सनातन धर्म व संस्कृति शाश्वत, सर्वहितकारी, मंगलकारी है । यह हमें आत्म-परमात्म दर्शन के ज्ञान के लिए प्रेरित करती है।
स्वामीजी बुधवार को गोगागेट के अग्रसेन भवन में दो दिवसीय सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में प्रथम दिन बुधवार को अग्रसेन भवन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बच्चों के जन्म दिन पर केक काटने व मोमबती बुझाने की पाश्चात्य संस्कृृति के प्रभाव से बच्चों के मन पर लालसा, घृृणा, प्रतिस्पद्र्धा की कामना आदि बुरे प्रभाव पड़ते है। बच्चों के जन्म दिन को गौ शाला, अनाथ आश्रम, पीड़ित मानव व पशुओं की सेवा के साथ मनाएं, इससे बच्चों में सेवा भावना बढ़गी तथा उनके विचार उच्च होंगे।
स्वामीजी ने भजन ’’ इस दुनियां को घूमाने वाला कौन है, मेरा राम है’’, ’’मस्ती के लूटें खजाने भाई संतों के दरबार में’’ ’’ना सुख है, गृृहस्थी में जंगलों में, सुख तो मिलता है, आत्म परमात्म स्वरूप् को जानने में’’ सुनाते हुए कहा कि सच्चा सुख सत, चित व आनंद स्वरूप् परमात्मा में प्रीति लगाने से मिलता है। गृृहस्थ धर्म का पालन करते हुए सच्चे भाव व विचारों से परमात्मा का स्मरण करें । उन्हांेने कहा कि दुर्लभ मानव योनि में मनुष्य की विवेक,विचार व अपनी बुद्धि के बल पर अपने आत्म व परमात्मा स्वरूप् को पहचान सकता है। उन्हांेने कहा कि मानव मन में लालसा व लालच को कम करने के लिए संतोष की प्रवृृति को अपनाएं तथा अधिकाधिक प्रभु चिंतन करें।
पूर्व में उद्योगपति सुभाष मित्तल, रामदेव अग्रवाल रंगवाला, श्री अग्रवाल कंदोई सम्पति ट्रस्ट के महामंत्री श्री भगवान अग्रवाल, शिवजी अग्रवाल, गजानंद अग्रवाल, आयोजन कमेटी के डाॅ.रामदेव अग्रवाल, ब्रजलाल मित्तल, राजू नागौरी व प्रहलाद अग्रवाल ने महात्माओं का वंदन अभिनंदन किया। इस अवसर पर ब्रह््मचारी अरुण स्वरूप, स्वामी प्रज्ञानंदजी, स्वामी ज्ञानानंदजी ने भी प्रवचन किए। सत्य नारायण अग्रवाल उर्फ सत्तू, उपेन्द्र व्यास व राजेश निरंकारी ने सतीजी, बालाजी सहित विभिन्न देवी देवताओं के भजन प्रस्तुत किए। गुरुवार को अग्रसेन भवन में ही शाम साढ़े चार बजे से छह बजे तक प्रवचन व सत्संग होगा।

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