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बीकानेर,पुणे सिटी के श्रीविश्वकर्मा जांगिङ समाज संस्थान प्रांगण मे समस्त जांगिङ सुथार समाज के संयोजन मे बीकानेर की मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान के बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज द्वारा”पर्यावरण संवर्धन संरक्षण संदेश के साथ 29 मार्च से 5 मार्च तक निरंतर श्रीविश्वकर्मा कथा एवं भक्तिरस प्रवचन माला का वाचन के साथ साथ एक लाख पौधावितरण अभियान सत्संग के माध्यम से नित्य प्रतिदिन आयोजित हो रहा है..कथा मे आज विश्वकर्मा की उत्पति और कथा श्रवण का माहात्म्य बतलाते हुए कहा.. कि विश्वकर्मा भगवान प्रजापति के साथ साथ समस्त त्रिलोकी के कर्मकारो के आराध्य देवता माने गये है.. तत्पश्चात कर्मकारों के गोत्र एव विश्वकर्मा की आराधना मात्र से ही प्रत्येक जीव समस्त प्रकार के धर्म अर्थ काम मोक्ष आदि पुरुषार्थ की प्राप्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है.. बालसंतश्रीछैलविहारी महाराजने कथा विस्तारित करते हुवे बताया.. किऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया हैहम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें. तो पायेगें..कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है। कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। संस्थान संरक्षक प्रिंसिपल हरिकिशन नागल के संरक्षक हरिकिशन नागल ने बताया… कि पर्यावरण संवर्धन हेतु पौधावितरण अभियान समिति मे तेजाराम मरोठवाल मामराज मांङण थानमल भाटिया रामचंद्र लद्रेचा जगदीश जांगिङ श्रीकिसन मांङण एव,आनंद गहलोत उत्तम पारीक, बजरंगलाल सेनी हनुमान भद्रेचा,

नंदकिशोर पंडवाला,हनुमान शिलग,राधेश्याम धामू हरिराम भद्रेचा,गोविन्द जांगिङ,कांट्रेक्टर मुरली मनोहर हर्षवाल कॉन्ट्रेक्टर हीरालाल कुलरिया आदि पौधवितरण और कथा मे सेवाभाव से लगे हुए हे।…

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