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बीकानेर,जिले में लगातार पकड़े जा रहे जाली नोट गिरोह के बाद बैंकों के सिस्टम और कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे है। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि जिले के सरकारी और गैर सरकारी बैंकों में आये दिन नकली नोट सामने आते है मगर बैंक कार्मिक नकली नोटों को जब्त कर कानूनी कार्यवाही के बजाए ग्राहकों को वापस लौटा देते है। यहीं वजह है कि बीकानेर में बैंकों के जरिये जाली नोट पकडऩे का एक भी मामला सामने नहीं आया है जबकि पुलिस यहां जाली नोट छापने वाले दो गिरोह का पर्दाफाश कर करोड़ों रूपये के जाली नोट जब्त कर चुकी है। हैरानी की बात तो यह है कि जिले से आरबीआई में जमा होने के लिए भेजे जाने वाले नोटों की जांच में कुछ नकली नोट मिलने की शिकायतें बीते दिनों आ चुकी है। इसके बाद भी बैंकों ने इस तरह का सिस्टम नहीं बनाया, जिससे आम ग्राहक जागरूक होकर इसकी आसानी से पहचान कर सके। बीते वर्ष जिले से भेजी गई नकदी में से भारतीय रिजर्व बैंक, जयपुर की पकड़ में कुछ नकली नोट आए थे। जिले की करेंसी चेस्ट शाखा से भेजे गए गंदे, कटे-फटे नोटों की जांच में यह नकली नोट पकड़ में आए । हैरानी इस बात को लेकर भी है कि बैंक अधिकारी यहां आमजन को असली नकली नोटों की पहचान के लिये जागरूक भी नहीं कर रहे है। जबकि नकली नोटों के चलन पर रोक लगाना बैंकों की जिम्मेदारी है। जानकारी के अनुसार बैंक शाखाओं में जब इस तरह के नोट आते हैं तो बैंक स्टॉफ कानूनी पेचीदगी से बचने के लिए इसे आगे सीधे ही आरबीआई में जमा होने के लिए भेज देता है। वहां सिस्टमैटिक तरीके से इन नोटों की जांच करने पर नकली नोटों की असलियत सामने आती है। अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर खानापूर्ति करने का प्रयास रहता है। जबकि होना यह चाहिए कि जिस बैंक से नकली नोट मिलता है, उसी बैंक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि वह ग्राहक से पूछताछ कर, उसे बिना परेशान किए, मामले की असलियत जाने। ग्राहक को इस बात का विश्वास दिलाया जाए कि नकली नोट की सूचना देने पर उसे बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा। परंतु आमतौर पर ऐसा नहीं होता। बैंकिंग नियमों में नकली नोट मिलने को गंभीर अपराध माना गया है। इसलिए ग्राहक भी भयवश सामने नहीं आना चाहता, न ही कानूनी पेचीदगियों में उलझना चाहता है। यदि बैंक स्टॉफ लेने से मना कर देता है तो वह दूसरा नोट थमा देता है। जमीनी तौर पर होना यह चाहिए कि हर नकली नोट की पहचान कर उसकी तह तक जाने का प्रयास हो। आम ग्राहक को जागरूक करने के लिए बैंकों को जागरुकता कार्यक्रम करने चाहिए।
-जाली नोटों का हॅब बन चुका है बीकानेर
जाली नोट माफियाओं के लगातार पकड़े जाने से यह बात तो साफ हो गई है कि बीकानेर जाली नोटों का हॅब बन चुका है। यहां सक्रिय जाली नोट माफिया ना सिर्फ नोट छाप रहे है बल्कि हवाला के जरिये देशभर सप्लाई भी कर रहे है । एक अनुमान के मुताबिक अब तक की कार्यवाहियों में पकड़े गये जाली नोट माफिया बीकानेर से करीब एक अरब के नोट देश के महानगरों में सप्लाई कर चुके है। इस मामले की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि माफियाओं ने नकली नोट सप्लाई का सबसे बड़ा जरिया हवाला को ही बना रखा है । पकड़े जा रहे जाली नोट माफियाओं में से ज्यादात्तर के लिंक हवाला कारोबारियों से जुड़े हुए है। ऐसे में पुलिस अब जाली नोट माफियाओं से जुड़े हवाला कारोबारियों की कुण्डली खंगालने में जुटी है। पता चला है कि बीकानेर में जिले कृषि उपज मंडी के अलावा श्रीडूंगरगढ़,लूणकरणसर और नोखा में हवाला कारोबारियों के कई बड़े ठिकाने है। इतना ही नहीं अब तक गिरफ्त में आये ज्यादात्तर नकली नोट माफिया भी हवाला कारोबारियों के पैडलर है। इस मामले की जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जाली नोट प्रकरण में पुलिस जल्द ही बड़ा खुलासा करेगी।
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