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बीकानेर,जयपुर फोटोजर्नलिज्म सेमिनार के 8 वां संस्करण का आयोजन जयपुर हुआ. एक दिवसीय सेमिनार में पत्रकारिता और फोटो पत्रकारिता का गहन अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों ने अपने-अपने अनुभव सांझा किए.सेमिनार में देश के विभिन्न भागों के पत्रकारिता एवं जनसंचार के करीब 200 विद्यार्थियों और प्रोफेसर ने शिरकत की. पत्रकारिता के विद्यार्थियों को हार्डकोर फोटोजर्नलिज्म की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के उद्देश्य से सेमिनार आयोजित हुई.

सेमिनार के मुख्य वक्ता इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) (संयुक्त राष्ट्र यूएन प्रवासन एजेंसी) के कार्यालय प्रमुख संजय अवस्थी ने अपने संबोधन में बताया कि अगर कोई दुनिया की सच्चाई जानना चाहता हैं तो ऑनेस्ट एक्सर्ट और क्वालिफाईड फोटोजर्नलिज्म बेहद आवश्यक है. अवस्थी ने बताया कि लगभग 3.5 करोड़ भारतीय विदेशों में विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं. किसी भी देश में माइग्रेट होने से पूर्व वहां की परिस्थितियां जानने में फोटो जर्नलिज्म की भूमिका अहम होती है. उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ फोटोग्राफ्स के माध्यम से सीरिया से कनाडा जा रहे शरणार्थियों, उनकी आमदनी के लिए चलाये जा रहे सिलाई कैम्पों, फुड डिस्ट्रिब्यूशन के दृश्य, यूक्रेन यु़द्ध के हालात प्रदर्शित किए.सेमिनार में मनोज माथुर ने किसी न्यूज को जल्द से जल्द दर्शकों तक पहुंचाने और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में विडियो जर्नलिस्ट की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार विडियो जर्नलिस्ट के यूनिक आईडिया पर उन्होंने भारत पाक ट्रेन का कवरेज मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर किया था. जिसे आगे चल कर बेस्ट स्टोरी का खिताब मिला. उन्होंने कहा कि किसी भी रिपोर्टर की सफल स्टोरी के पीछे फोटो अथवा विडियो जर्नलिस्ट का हाथ होता है. उन्होंने भीलवाडा की देह व्यापार के स्टिंग ऑपरेशन और गुर्जर आंदोलन कवरेज के अनुभव भी सांझा किए.

सेमिनार में अजय चोपड़ा ने पाठकों की दृष्टि से अखबार में छपने वाली फोटोज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी भी समाचार में जो रिक्त स्थान होता उसकी पूर्ति फोटो कर देती है. उन्होंने कुछ फोटोज् को प्रदर्शित करते हुए कहा कि न्यूज में छपने वाली फोटो का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है. फोटोज हमारे विचारों को उद्देलित करती है, हमें सोचने पर मजबूर कर देती है, जागरूकता लाती है और सनसनी उत्पन्न कर देती है. सेमिनार में अयोध्या प्रसाद गौर ने समाचार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी घटना को देखने का नजरिया महिला एवं पुरूष में भिन्न प्रकार से होता है. उन्होंने कहा कि महिला पत्रकार मानवीय पहलू से किसी घटना को देखती है. पत्रकार के रूप में अपने कुछ कवरेज के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने फालौदी के लुणा गांव में भुखमरी से हुई मृत्यु और बीकानेर में युद्धाभ्यास के कवरेज के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि किसी न्यूजपेपर में छपने वाले समाचार में ऐथिक्स और न्यूज के पाठकों तक जाने वाले संदेश में फोटोजर्नलिस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.

सेमिनार के अन्य प्रमुख वक्ताओं में निदेशक डीआईपीआर पुरूषोत्तम शर्मा, डॉ. मनोज लोढ़ा, हेमजीत मालू, पुरुषोत्तम दिवाकर रहे. इस अवसर पर लीला दिवाकर भी मौजूद रही. इमेजिन फोटोजर्नलिस्ट सोसायटी का गठन 2012 में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ-पत्रकारिता में नई क्रांति लाने और पत्रकारिता एवं फोटो पत्रकारिता के कार्य के क्षेत्र में और अधिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया गया है. , इमेजिन फोटोजर्नलिस्ट सोसायटी समय-समय पर पत्रकारिता एवं जनसंचार के छात्र और छात्राएं के प्रशिक्षण के लिए लगातार वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है. सोसायटी द्वारा अब तक लगभग 3000 छात्र-छात्राओ को वर्कशॉप एवं सेमिनार के माध्यम से प्रशिक्षण दे चुकी है. इमेजिन फोटोजर्नलिस्ट सोसायटी कामुख्य उद्देश्य देश में फोटो पत्रकारिता और पत्रकारिता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्रदान कराना है. इस कार्य में देश के अनेक जाने-माने पत्रकार, फोटो पत्रकार, शिक्षाविद एवं विशेषज्ञ इमेजिन फोटोजर्नलिस्ट सोसायटी को अपना सहयोग दे रहे है.

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