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जयपुर. राजस्थान में 31 विधायकों और 6 सांसदों के खिलाफ आमजन के लिए रास्ता रोकने से लेकर गंभीर अपराध के 64 आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। खास बात यह है कि माननीयों के विरुद्ध दर्ज एफआइआर में छोटा प्रकरण हो या फिर गंभीर..इन प्रकरणों के अनुसंधान में पुलिस की कछुआ चाल रहती है। पुलिस के मुताबिक, प्रदेश के विभिन्न थानों में कांग्रेस के 15 विधायकों के खिलाफ 23 प्रकरण दर्ज हैं। भाजपा के 16 विधायकों के खिलाफ 22 प्रकरण दर्ज हैं। वहीं 6 सांसदों के खिलाफ भी 19 मामले दर्ज हैं। पढ़ें 32 विधायक 31 विधायक…

कुछ विधायकों पर गंभीर अपराध कुछ विधायकों के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला, बलात्कार जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं आमजन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने के संबंध में प्रकरण दर्ज हैं। सभी दर्ज मामलों को देखा जाए तो इनमें से एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ 8 प्रकरण दर्ज हैं और एक के खिलाफ 5, दो के खिलाफ 4-4 और पांच के खिलाफ 2-2 प्रकरण दर्ज हैं। जबकि अन्य विधायकों के खिलाफ एक-एक प्रकरण दर्ज हैं। किस वर्ष कितने मामले

कांग्रेसः 15 विधायक

अशोक चांदना,बलजीत यादव, भजनलाल,विश्वेन्द्र सिंह,दिव्या मदेरणा,हरीश चौधरी,जाहिदा खान, जोहरीलाल मीना,खुशवीर सिंह, ओमप्रकाश हुड्डा,परसादी लाल मीना, रफीक खान, राजेन्द्र गुढा, रामलाल मीना तथा रमीला। 6 सांसद: जे.पी. नड्डा, किरोड़ीलाल मीना, महंत बालकनाथ रामचरण बोहरा,सुखवीर सिंह जोनपुरिया तथा हनुमान बेनीवाल।

भाजपा: 16 विधायक

अशोक लाहोटी,चन्द्रकांता मेघवाल, गोपीचंद मीना,कन्हैयालाल चौधरी, कीर्ति कुमार,मदन दिलावर,गुरदीप सिंह, जगदीश जांगिड़, नारायण बेनीवाल,नारायण सिंह देवल, प्रतापलाल भील, रामप्रसाद ढिंढोर, रामप्रताप कृष्णिया, शोभारानी खुशवाह, सुभाष पूनिया और प्रताप गमेती ।

2020 में 17 और 2021 में 20 मामले

विधायक-सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच पुलिस मुख्यालय की सीआइडी द्वारा की जा रही है। इनमें एक मामला तो करीब 16 वर्ष से लंबित चल रहा है, जो वर्ष 2006 का है। जबकि सबसे ताजा बलात्कार का प्रकरण कुछ माह पहले 2021 में दर्ज हुआ। गत दो वर्षों में सबसे अधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं। 2020 में 17 और वर्ष 2021 में 20 प्रकरण दर्ज हुए।

सूक्ष्मता से अनुसंधान पर होती है देरी

विधायकों के खिलाफ दर्ज की तफ्तीश बारीकी से करनी पड़ती है।
जनप्रतिनिधि की कार्य प्रवृत्ति ऐसी है कि कई बार जनहित में कई कार्य करते हैं, जिनके कारण उनके खिलाफ मामला दर्ज हो जाता है। सूक्ष्मता से अनुसंधान करने पर देरी हो जाती है। रवि प्रकाश मेहरड़ा, एडीजी क्राइम, राजस्थान पुलिस

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