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बीकानेर,बीकानेर कोरोना काल में ऑक्सीजन ही प्राणवायु थी। इसी की सबसे ज्यादा मारामारी रही। उसे देखते हुए प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में पांच सौ से ज्यादा ऑक्सीजन प्लांट इंस्टॉल किए थे, लेकिन इनमें से ज्यादातर अब ऑपरेशनल नहीं हैं।

इन्हें रनिंग में लाने के लिए उच्च स्तर पर कसरत शुरू हो गई है। जिले में रेफरल, सीएचसी पर करीब 530 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे। कोविड के जाने के बाद दो साल से इनमें से 300 से ज्यादा प्लांट बंद पड़े हैं। हर जिले में चार-पांच प्लांट ही रनिंग में हैं।

रेफरल और पीएचसी पर जरूरत के अनुसार चलाए जाते हैं। कंपनियों से एक साल से पांच साल तक के लिए कंपलीट मेंटिनेंस कॉस्ट यानी सीएनसी का एमओयू हुआ था। उसके बाद भी इन प्लांट्स की सुध नहीं ली गई। अब चीन के बच्चे में फैल रही रहस्यमय इनफ्लूएंजा बीमारी को देखते हुए प्रदेशभर के अस्पतालों में मॉकड्रिल हुई। तो ऑक्सीजन प्लांट्स का सच सामने आया। मॉकड्रिल के दौरान 530 ऑक्सीजन प्लांट, 40 हजार ऑक्सीजन कंसनट्रेटर सहित सभी जरूरी उपकरणों की सुध ली गई। बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट्स को ऑपरेशनल करने के लिए उनकी रिपेयरिंग होगी। ऑक्सीजन सेंसर, फिल्टर बदलने पड़ेंगे। जीओ लाइट भी चाहिए। लेकिन इनके लिए सरकारी स्तर पर फिलहाल कोई सिस्टम डेवलप नहीं हो पाया है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कंपनियों को पत्र लिखे थे। उनकी तरफ से भी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।

सरकार ने सरकारी अस्पतालों में इक्विपमेंट्स की मेंटिनेंस का काम किर्लोस्कर को दिया था, लेकिन उनमें ऑक्सीजन प्लांट को शामिल नहीं किया। एक्सपर्ट का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट को रनिंग में लाने के लिए दस हजार से लेकर तीन लाख रुपए तक खर्च होंगे। क्योंकि प्लांट बंद रहने से ऑक्सीजन सेंटर और फिल्टर खराब होना सामान्य बात है। इसे ऑपरेशनल करने के लिए जीओ लाइट भी मंगवाना पड़ेगा, जो काफी महंगा आता है। कोविड के दौरान जिले में कुल 19 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए, जिन पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इनमें से पीबीएम हॉस्पिटल में 11 में से चार ही रनिंग में हैं। दो हैंड ओवर नहीं हुए। पांच बंद हैं। एक जिला अस्पताल में चल रहा है। इसके अलावा सात प्लांट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हैं। जिले में इंस्टॉल किए सभी प्लांट्स की कीमत 50 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ तक है। ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स की मेंटिनेंस और मॉनिटरिंग के लिए केंद्र सरकार की अनुमति मिल गई है। इन्हें ई उपकरण पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। सरकार एजेंसी तय करेगी। यह काम शीघ्र पूरा करने के लिए अस्पतालों को लिखा गया है। पीबीएम हॉस्पिटल में चार प्लांट पहले से चल रहे हैं। सभी को चलाने की जरूरत नहीं है। इस पर बिजली का खर्च एक दिन का 300 यूनिट आता है, जो काफी महंगा है। बंद प्लांट्स को जरूरत पड़ने पर ठीक करवा लेंगे।
डॉ. गुंजन सोनी, प्रिंसिपल, एसपी मेडिकल कॉलेज

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