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बीकानेर,पश्चिमी रेगिस्तान के सबसे बड़े सरकारी उर्मूल डेयरी प्लांट ने आज पचास साल पूरे कर लिए है. इस मौके पर बीकानेर में उर्मूल सरस पर जश्न मनाया गया, जहां एमडी बीएल बिशनोई सहित तमाम कर्मियों ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशी का इजहार किया.वहीं 50 साल तक पूरे होने की खुशी में उर्मूल निरंतर काम करने की प्रेरणा देने का भी वादा किया है. वहीं लाखों लोगों को रोजगार देने वाले उर्मूल के सिस्टम में हाल ही में लंपी बीमारी का खासा असर देखने को मिला लेकिन इसके बावजूद भी उर्मूल लगातार बेहतर काम कर रही है. अगर उर्मूल के 50 साल के सफर को देखे तो ये बहस लंबी यात्रा के तौर पर नजर आता है.

उत्तरी राजस्थान सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड बीकानेर जोकि उर्मूल के नाम से प्रसिद्ध है. उर्मूल की स्थापना 28 अगस्त 1972 में हुई संघ ने अपना व्यापार 9 जून 1973 को 51 दुग्ध समितियों के साथ प्रारंभ कर 1500 लीटर प्रतिदिन दूध का संकलन किया. बीकानेर डेयरी संघ श्री गंगानगर रोड़ पर स्थापित कर 26 जनवरी 1977 से प्रारंभ किया गया.संघ का मुख्य उद्देश्य जिले के ग्रामीण दुग्ध उत्पादों को उनके दूध का अधिकतम मूल्य प्रदान कर उनके सामाजिक आर्थिक और नैतिक विकास कर जिले के सर्वांगीण विकास में योगदान करना है. दूसरी ओर जिले के शहरी उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त दूध और दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करवाकर द्विपक्षीय सामाजिक दायित्व का निर्वाह करना है. संघ में वर्तमान में 876 पंजीकृत समितियां है, वह 94 प्रस्तावित दुग्ध उत्पादक समितियां है.

लगभग 39800 सदस्य वर्तमान में जिला संघ से जुड़े हुए हैं. जिला संघ द्वारा इस साल करोडों रुपये का भुगतान अपने दुग्ध उत्तपादकों को किया है. वर्तमान में 55000 लीटर दूध प्रतिदिन संकलित किया जा रहा है. गत कई वर्षों से आर्थिक तंगी से गुजरती हुई उर्मूल को एमडी रहे एसएन पुरोहित के निर्देशन में अपनी टीम के साथ कई ऊंचाइयों को छुआ और इसी परम्परा को वर्तमान में एमडी बीएल बिशनोई आगे बढ़ाते हुए सरस को ऊंचाईयों पर लेकर जा रहे है और 1983 के स्वरूप को पाने की ओर अग्रसर है.

जब उरमूल में लगभग तीन लाख लीटर दुग्ध प्रतिदिन संकलित होता था, इसके साथ ही मिठाई के नए उत्पाद बाजार में लाकर आम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गुणवत्ता से भरपूर उत्पाद उपलब्ध करवाने का भी लक्ष्य रखा गया है. जन-जन तक आसान पहुंच बनाने के उद्देश्य से उर्मूल ने हाल ही में जिला प्रशासन के सहयोग से सरस बूथों का और आवंटन ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में किया है.

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