Trending Now


बीकानेर, शासन सचिव (कृषि) राजन विशाल एवं आयुक्त (कृषि) चिन्मयी गोपाल के निर्देशों की अनुपालना में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के क्रम में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना अंतर्गत आयोजित 5 दिवसीय कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के भीमसेन चौधरी किसान घर सभागार में संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में तथा उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चौधरी ने बताया कि प्राकृतिक खेती स्वस्थ मृदा-समृद्ध किसान की परिकल्पना पर आधारित है। हाल ही में प्राकृतिक खेती को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के रूप में लिया गया है। प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त खेती है, जिसमें किसान अपने खेत पर उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग कर, देशी पशु से प्राप्त गोबर-गोमूत्र की सहायता से प्राकृतिक खेती करता है। प्राकृतिक खेती में किसी भी स्तर पर रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। प्राकृतिक खेती पूर्णत: स्थानीय जैव विविधता को सुरक्षित रखते हुए जीरो बजट पर आधारित खेती है। प्राकृतिक खेती के तहत किसान स्वयं के खेत पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए जीवामृत, बीजामृत, पंचगव्य, ब्रह्मास्त्र, अग्नाशास्त्र, वर्मीवास का उपयोग करते हुए प्राकृतिक खेती करते हैं। प्राकृतिक खेती से मृदा स्वास्थ्य सुधरता है एवं उर्वरकता स्तर बढ़ने के साथ मिट्टी में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के क्रम में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत राज्य स्तर पर कुल 1800 क्लस्टर का आवंटन है। बीकानेर को 60 क्लस्टर में 7500 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ते हुए प्राकृतिक खेती के क्षेत्रफल को बढ़ावा देने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। 60 कलस्टर में प्रति कलस्टर 2 कृषि सखी (सीआरपी) का चयन स्थानीय स्तर पर गांव में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के क्रम में किया गया है। चयनित कुल 120 कृषि सखी के प्रथम बेंच की 60 कृषि सखी सीआरपी को 05 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। योजना प्रभारी कविता गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक खेती कार्यक्रम के तहत 6 बायो इनपुट रिसोर्स केंद्र का चयन किया जाएगा। प्रति केंद्र एक लाख रुपए की राशि 50-50 हजार की दो किश्तों में स्वीकृत की जाएगी। कार्यक्रम समन्वयक कृषि अधिकारी रमेश भाम्भू ने 5 दिवस आयोजित कृषि सखी सीआरपी प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत सत्र वार रूप रेखा रखी व अवगत करवाया कि चयनित कृषि सखी को प्रति माह 5000 रुपए मानदेय विभाग द्वारा दिया जाएगा तथा मोबाइल हेतु एकमुश्त 4000 रू की राशि भी स्वीकृत की जावेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि उद्यानिकी विभाग एवं कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा कृषि सखी को प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम सह समन्वयक रितिका शर्मा ने प्राकृतिक खेती पर विचार रखे। कृषि सखी सीआरपी अब अपने अपने क्लस्टर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी, चयनित 125 किसान प्रति दो सीआरपी को प्रशिक्षित करेगी। कृषि सखी विनोद कंवर, समता, चंदा, बबीता भार्गव, सुमन, सरोज जैन, सरोज कंवर इत्यादि ने अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम समापन पर सहभागी कृषि सखी सीआरपी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कृषि अधिकारी रमेश भाम्भू ने किया।

Author