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बीकानेर,राजस्थान रोडवेज कर्मचारियों की नई भर्ती से बचने के लिए राज्य में अनुबंधित बसों का संचालन दिन प्रतिदिन बढ़ाया जा रहा है. प्रति किलोमीटर आय निकालने का लक्ष्य और औसत वही है जो रोडवेज और अनुबंधित बसों का है।

दस लीटर से अधिक डीजल खर्च करने पर अनुबंधित बस के चालक से बाजार मूल्य के हिसाब से शुल्क लिया जाता है, जबकि रोडवेज चालक को नोटिस, चार्जशीट और यहां तक कि डीजल की कीमत भी जमा करनी होती है.

स्थिति यह है कि वर्ष 2013-14 से रोडवेज में कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है। इसके बाद से संविदा बसों का चलन बढ़ गया। वर्तमान में बीकानेर डिपो में 97 बसों में से 38 संविदा बसों का संचालन हो रहा है। दूसरी ओर रोडवेज कर्मचारी नई बसों की खरीद व कर्मचारियों की भर्ती की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। बीकानेर डिपो के मुख्य प्रबंधक अंकित शर्मा का कहना है कि नई बसों और कर्मचारियों की भर्ती के बाद ही रोडवेज घाटे से उबर पाएगा।

जयपुर रूट पर चलने वाले ऑपरेटरों को प्रति किलोमीटर 30 रुपये से अधिक कमाई का लक्ष्य दिया जाता है। यह लक्ष्य सारथी को ही प्राप्त होता है। फर्क यह है कि बस सारथी का रूट एक महीने के लिए ठेके पर दिया जाता है। जब वह 30 किमी से अधिक की कमाई लाता है, तो उसे बढ़ी हुई आय का 25 प्रतिशत प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही 13 हजार रुपए वेतन अलग से,जबकि रोडवेज संचालक कम आमदनी लाता है तो चार्जशीट हो जाती है। जड़ तक बदलते हैं।

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