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बीकानेर,भा.कृ.अनु.प. केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान का 33वां स्थापना दिवस 01.10.2025 को आयोजित किया गया। इस सुअवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रगति एवं संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न सब्जी एवं फल फसलों की किस्मों के बारे में जानकारी दी। इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर मनोज दीक्षित, कुलगुरू, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर ने केशबास के द्वारा बागवानी के क्षेत्र में विकसित की जा रही तकनीकियों व कृषक जो इनसे लाभ उठाकर रेगिस्तान की विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छी आय प्राप्त कर रहें हैं उनकी सराहना की। उन्होंने वैज्ञानिकों व कृषकों का आह्वान करते हुए कहा कि भारत के 2047 के लक्ष्य जिसमें भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में विकसित करने के लक्ष्य को रखते हुए त्वरित गति से कृषि एवं बागवानी के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि एवं बागवानी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व पर्यावरण के साथ समावित है और यहां पौधों को जैसे तुलसी. बेल, खेजड़ी आदि को बहुत ही पवित्र भाव से देखा जाता है कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान, बीकानेर के निदेशक, डॉ. अनिल कुमार पूनियां ने कहा कि बागवानी के अनुसंधानों की वजह से आज फल व सब्जियों की आवक तेजी से बढ़ी है। ऐसे में कृषकों को इनकी मूल्य संवर्द्धन तकनीक एवं विपणन प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डी.के. समादिया ने शुष्क बागवानी की गौरवपूर्ण अनुसंधान यात्रा व विकास के साथ भाकृअनुप द्वारा दिये गये सहयोग को सविस्तार से प्रतिभागियों को बताया। इस क्रम में क्षेत्रीय केन्द्रीय बागवानी परीक्षण केन्द्र (सीआईएएच), गोधरा के अध्यक्ष, डॉ. ए.के. सिंह द्वारा बेल, आंवला, जामुन, चिरौंजी, सहजन एवं अन्य सब्जियों की विभिन्न किस्मों की अर्द्धशुष्क परिस्थितियों की प्रौद्यागिकी की जानकारी प्रदान की तथा बताया कि संस्थान की बहुत-सी किस्में पूरे भारत वर्ष में प्रसारित की जा रही है। इस दौरान डॉ. डी. के. सरोलिया, प्रधान वैज्ञानिक ने प्रतिभागियों को संस्थान की पंचवर्षीय उपलब्धियों तथा भविष्य के लक्ष्यों की जानकारी प्रदान की।

इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा प्रसारित बागवानी के विभिन्न तकनीकी एवं प्रसार पुस्तिकाओं / पत्रिकाओं का विमोचन किया। साथ ही डॉ. एस.आर. मीना, डॉ. बी.आर. चौधरी व श्री रूपचन्द बलाई ने संस्थान की विकसित तकनीकियों को प्रदर्शनी के माध्यम से अतिथियों व प्रतिभागियों को जानकारी दी।

इस अवसर पर संस्थान परिवार ने भाकृअनुप के पूर्व महानिदेशक, डॉ. राजेन्द्र सिंह परौदा एवं संस्थान के पूर्व निदेशक, डॉ. ओम प्रकाश पारीक का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर बागवानी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे तकनीकी अधिकारी पृथ्वीराज सिंह को विशेष सम्मान से नवाजा गया। बागवानी क्षेत्र में संस्थान की तकनीकियों से लाभान्वित कृषकों को समानित किये। जिनमें श्री कुशाल सिंह, सरहकुजियों, बीकानेरः जगदीश प्रसाद, राणेर, छत्तरगढ़, बीकानेरः चांद प्रकाश, नागौरः यशवंत सिंह, हनुमानगढ़ः सुंदरलाल, कोलायत, बीकानेरः ब्रज लाल, लूणकरणसर, बीकानेर एवं राकेश कस्वा, खाजूवाला, बीकानेर, रामेश्वर खीचड़, बीकानेर इत्यादि रहे। इस मौके पर आये सभी कृषकों को नाबार्ड परियोजना के तहत तैयार सहजन व तुलसी के पौधे वित्तरीत किये गये तथा अतिथियों को पौधे व फल स्मृति स्वरूप प्रदान किये। इस अवसर पर धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. धुरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग द्वारा किया गया।

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