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बीकानेर,सेंटर फॉर लंपी से मदद मांगी गई है
राजस्थान में लंपी केहर जोर-जोर से बोल रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 22 जिलों में फैली इस बीमारी से अब तक करीब 60 हजार गायों की मौत हो चुकी है।राज्य सरकार ने गांठ से प्रभावित गायों के लिए दवा के लिए जहां 30 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, वहीं केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। मुख्यमंत्री ने इसे महामारी घोषित करने की मांग भी की है।

इन सबके बीच राजस्थान में गायों के संरक्षण और विकास के लिए कर संग्रह की गणना करें तो पता चलता है कि जनवरी 2022 तक सरकार ने गाय उपकर के नाम पर 3121 करोड़ 48 लाख रुपये एकत्र किए हैं। इस अवधि तक, सहायता, अनुदान, संपत्ति निर्माण जैसे खर्चों सहित, कुल रु। 2144 करोड़ 58 लाख खर्च किए गए हैं। ऐसे में इस खर्च के बाद भी 976 करोड़ 89 लाख यानी करीब एक हजार करोड़ रुपये सरकार के पास गाय उपकर के रूप में उपलब्ध है. अगर जनवरी से अगस्त तक के सात महीने की आय को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा काफी बड़ा होगा।

दरअसल राजस्थान में स्टैंप ड्यूटी पर साल 2015-16 से गौ उपकर लगाया गया था. इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में शराब की बिक्री पर गौ उपकर लगाया गया था। ऐसे में जनवरी 2022 तक स्टैंप ड्यूटी के जरिए 1646 करोड़ 64 लाख 56 हजार रुपये की वसूली हो चुकी है। इसी तरह महज साढ़े तीन साल में शराब पर गाय उपकर के रूप में 1674 करोड़ 83 लाख 46 हजार रुपये की वसूली की गई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक 10 महीनों में स्टाम्प से 332.95 करोड़ रुपये और शराब से 389.26 करोड़ रुपये की आय हुई। यानी 10 महीने में कुल आय 722.21 करोड़ हो गई है।

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