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बीकानेर,जयपुर,राज्य में 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2016 के बीच सेवानिवृत हुए शिक्षको एवं अन्य समस्त कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ 1-1-2016 से नही मिला जिससे इन कार्मिको को पेंशन,ग्रेज्युटी,कम्युटेड पेंशन व उपार्जित अवकाश वेतन में भारी क्षति होने से इनमें भारी आक्रोश व्याप्त है।

राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री श्री महेंद्र कुमार लखारा ने बताया कि संगठन ने माननीय मुख्यमंत्री महोदय, राजस्थान सरकार जयपुर को पत्र भेजकर अवगत करवाया कि मुद्रास्फीति के कारण पैसे की क्रय शक्ति कम हो जाती है। जिसके कारण सरकारी कर्मचारियों के वेतन को समायोजित करना होता है।इसी कारण सरकार विभिन्न वेतनमानो का लाभ प्रदान करती है ताकि महंगाई व मुद्रा की क्रय शक्ति के कम होने का प्रभाव कार्मिको पर नहीं पड़े। ऐसे में जब वेतनमान का लाभ आदेशो में विसंगतियो के कारण नहीं मिल पाता तो उस मुद्रास्फीति के कारण रुपये की क्रय शक्ति घटने का सीधा नुकसान कर्मचारी को भुगतना पड़ता है।ऐसा ही नुकसान सन 2016 में सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिको को नुकसान हो रहा है जिस पर सकारात्मक निर्णय लेने की आवश्यकता है।
संगठन के प्रदेशयाध्यक्ष श्री नवीन कुमार शर्मा ने बताया कि राज्य में 7वे वेतनमान का लाभ 1-1-2016 से देने के आदेश किये गए किन्तु 1-1-2016 से 31-12-2016 तक का लाभ काल्पनिक देकर तमाम प्रकार के एरियर का लाभ नही दिए जाने के वित्त विभाग के आदेश दिनांक 6 व 9 दिसम्बर 2017 के कारण अब तक इन्हें 2016 से उक्त 7 वे वेतनमान के लाभ नहीं मिल पाया है।जो इन कार्मिको के साथ अन्यायपूर्ण कदम है।
संगठन के सभाध्यक्ष श्री अरविंद व्यास ने बताया कि सातवां वेतनमान 2016 से लागू किया गया ऐसे में 2016 में ही रिटायर्ड होने वाले समस्त कार्मिको को 1-1-2016 से नोशनल लाभ के स्थान पर 1-1-2016 से ही नगद लाभ प्रदान करना न्याय के प्राकृत सिद्धांत के अनुसार समीचीन था।जिस प्रकार राज्य सरकार महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी करती है तो सेवारत कार्मिको के लिए बढ़े हुए डी ए को अमुक माह के लिए जीपीएफ में जमा करती है वहीं पेंशनरों को उसी माह से नगद भुगतान करती है।वैसे ही 2016 में सेवानिवृत्त हुए और 2016 में ही 7 वे वेतनमान का लाभ दिया गया है तो 2016 में सेवानिवृत हुए इन कार्मिको को 1 -1- 2016 से 31-12-2016 तक बढ़े वेतनमान को नोशनल लाभ की श्रेणी में डाल कर उसकी कटौती करना न्यायोचित नही हो सकता।उसे नगद दिया जाना ही समीचीन है।
संगठन के प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री रवि आचार्य ने बताया कि वित्त विभाग के दिनांक 6 व 9 दिसम्बर 2017 के आदेशानुसार सन 2016 में ही रिटायर्ड होने वाले तकरीबन 26000 कार्मिको को भी 1-1-12016 से नोशनल लाभ प्रदान करने से इन्हें वेतन आयोग लागू करने की मूल मंशा के अनुरूप 7 वे वेतनमान के तहत1-1-2016 से ग्रेज्युटी, कम्युटेड पेंशन एवं अनुपयोजित संचयी उपार्जित अवकाश के बदले मिलने वाले वेतन अंतर का लाभ नही मिला है। जो इनके साथ अन्यायपूर्ण कदम रहा।
निवेदन है कि राजथान सरकार के दिनाक 9-12-2017 के प्रासंगिक आदेशानुसार 7 वे वेतनमान का लाभ 1-1-2016 से 31-12-2016 तक काल्पनिक तथा 1-1-2017 से दिया गया है ।जबकि केंद्र सरकार द्वारा उक्त लाभ 1-1-2016 से ही नगद लाभ दिया है।ऐसे में राजस्थान राज्य में केंद्र के समान ही वेतन भत्ते दिए जाने के पूर्व समझौते के अनुसार भी दिनांक1-1-2016 से ही 1-1-2016 से 31-12-21016 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिको को 7 वे वेतनमान के तहत पेंशन ,कम्युटेड पेंशन,ग्रेज्युटी व अनुपयोजित संचयी उपार्जित अवकाश के अंतर का नगद लाभ प्रदान करना समीचीन होगा।
संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री श्री प्रहलाद शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त शिक्षको एवं कार्मिको के लिए सरकार अपनी पेंशन योजना द्वारा वृद्धावस्‍था के दौरन वित्तीय सुरक्षा और स्‍थायित्‍व प्रदान करती है, जब इन कार्मिको के पास बुढापे में आय का कोई नियमित स्रोत नहीं होता है। सेवा निवृत्ति योजना द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि सेवानिवृत्ति के बाद प्रतिष्‍ठापूर्ण जीवन जीने और अपनी उम्र के बढ़ते वर्षों में अपना जीवन स्‍तर किसी समझौते के बिना अच्‍छा बनाए रखने सुविधाजनक हो। पेंशन योजना से लोगों को निवेश करने और अपनी बचत संचित करने का अवसर मिलता है जो सेवा निवृत्ति के समय वार्षिक योजना के रूप में एक नियमित आय के तौर पर उन्‍हें एक मुश्‍त राशि दे सके।किन्तु 7 वें वेतन आयोग के लागू करते समय आदेशो की विसंगति के कारण इन सेवानिवृत कार्मिको को भारी नुकसान पंहुचाया जा रहा है।
सरकार द्वारा सेवानिवृति के समय जीवन की बढ़ती लागत,मुद्रा स्‍फीति और जीवन प्रत्‍याशा के कारण सेवा निवृत्ति की योजना को आज के जीवन का अनिवार्य हिस्‍सा बना दिया है। ताकि कार्मिको को सामाजिक सुरक्षा प्रदान हो सके ।इसी उद्देश्य से सरकार ने पेंशन प्रणाली आरंभ की है।किन्तु 2016 में सेवानिवृत होने वाले कार्मिको को प्रासंगिक आदेशों के कारण निम्नानुसार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है जो इनके बुढापे में पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में बाधक बना हुआ है।
(1)यह कि सातवे वेतनमान में ग्रेज्युटी कई सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख की गई ।जिसका लाभ 1-1-2016 से 31-12-2016 के बीच सेवानिवृत होने वाले कार्मिको को नहीं दी जा रही। इन्हें 6 ठे वेतनमान के तहत ही ग्रेज्युटी दी गईं।अंतर प्रदान करना न्यायोचित है।
(2)कम्युटेड पेंशन- यह सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन के वेतन के आधार पर दी जाती है। निवेदन है कि 7 वे वेतनमान के तहत कर्मचारी को विद्यमान मानकर पुनः फिक्सेशन कर पेंशन तो संशोधित कर दी गयी किन्तु कम्युटेड पेंशन संशोधित नहीं कि गयी।अतः कार्मिक के नवीन वेतन के अनुसार कम्युटेड पेंशन प्रदान की जावे।कार्मिक की दी जाने वाली कम्युटेड पेंशन सरकार किश्तों में वसूलती है ऐसे में उसे नवीन वेतन के अनुसार नहीं देने की रोक लगाना वाजिब नहीं है।
(3)अनुपयोजित संचयी अवकाश वेतन-यह कि प्रासंगिक आदेशो के तहत 1-1-2016 से 31-12-2016 तक के वेतन अंतर का लाभ काल्पनिक किया है न कि उपार्जित अवकाश का। ऐसे में बढ़ी हुई दर से 1-1-2016 से उक्त लाभ दिया जाना उचित है।
संगठन की माँग बहै कि 1-1-2016 से 31-12-2016 के बीच सेवानिवृत होने वाले शिक्षको एवं समस्त कार्मिको को 1-1-2016 से ही पेंशन,ग्रेज्युटी,कम्युटेड पेंशन,अनुपयोजित उपार्जित अवकाश का लाभ नगद प्रदान किये जाने के आदेश पारित करवाकर राहत प्रदान कराने की मांग की ताकि अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में सरकार को सेवाएं प्रदान करने वाले कार्मिक अपने बुढापे में सामाजिक व आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस कर सके।

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