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बीकानेर,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित “आधुनिक पादप रोग प्रबंधन की प्रभावी रणनीतियां” विषय पर 21 दिवसीय शीतकालीन वैज्ञानिक प्रशिक्षण स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग के अंतर्गत मंगलवार को प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी थे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण पौधों में नई बीमारियां पनप रही हैं जिनका समय पर निवारण नहीं होने से खेती घाटे का सौदा साबित होती जा रही है। किसान का बेटा भी खेती से दूर हो रहा है। उन्होंने कहा कि पादप रोग प्रबंधन में कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान के साथ-साथ अनुभवी किसानों का व्यवहारिक ज्ञान को भी खेती में आजमाना चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों के अनुभव एवं प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को दूर दराज के किसानों तक पहुंचाकर आत्मनिर्भर भारत बनाने में सहयोग की अपील की। उन्होंने मरू संभाग में रबी की फसलों में हो रहे रोगों की पहचान के लिए प्रशिक्षणार्थियों को क्षेत्र भ्रमण आयोजित करने की सलाह दी।
कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण में देश के विभिन्न प्रांतों से आए पादप रोग वैज्ञानिकों के अनुभव एवं अनुसंधान मरू क्षेत्र के किसानों के लिए पादप रोग प्रबंधन में सहायक सिद्ध होगा। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं निदेशक अनुसंधान डॉ. पी. एस. शेखावत ने कहा कि आईसीएआर द्वारा एसकेआरएयू के लिए इस प्रकार का प्रशिक्षण का आयोजन करवाना विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है।
वित्त नियंत्रक बी.एल. सर्वा ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न वक्ताओं के व्यवहारिक ज्ञान को सोशल मीडिया यथा फेसबुक, यू-ट्यूब,एक्स  आदि के माध्यम से गांव-ढाणियों तक पहुंचाया जाना चाहिए। प्रशिक्षण समन्वयक पादप रोग विभागाध्यक्ष डॉ. दाता राम ने बताया कि प्रशिक्षण में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, आसाम, गुजरात तथा त्रिपुरा राज्यों से 25 कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं, जिन्हें पादप रोग प्रतिरोधकता हेतु बायोटेक्नोलॉजी, पादप जींस एडिटिंग, रोग प्रबंधन में नैनो टेक्नोलॉजी, ट्राइकोडर्मा के उपयोग आदि विषयों पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ. ए.के. शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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