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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वीश्री प्रियरंजनाश्रीजी के सान्निध्य में शनिवार को नाहटा चौक के भगवान आदि नाथ मंदिर में विभिन्न जड़ी बुटियों, द्रव्यों से भक्ति संगीत के साथ 18 अभिषेक किया गया। मंदिर में विशेष अंगी की गई । रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सामूहिक सांझी का आयोजन हुआ।
आदिश्वर मंदिर नाहटा पंचायती प्रन्यास के अध्यक्ष दौलत राम नाहटा ने बताया कि रविवार को मंदिर में अहमदाबाद से मंगवाई गई दो ध्वजा चढ़ाई जाएगी तथा सतर भेदी पूजा की जाएगी। सकलश्री संघ व श्री अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक संघ की ओर से आयोजित सामूहिक वर्षीतप पारणा समारोह के तहत रविवार को आदिनाथ जैन मंदिर मंदिर में सुबह नौ बजे इक्क्षु रस पक्षाल किया जाएगा व सुबह सवा नौ बजे शोभायात्रा (वरघोडा) भगवान आदि नाथ मंदिर से रवाना होकर ढढ्ढा कोटड़ी पहुंचेगा। जहां सुबह दस बजे प्रवचन व सवा ग्यारह बजे वर्षीतप पारणा होगा।
साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में बैसाख शुक्ल तृतीया का बड़ा महत्व है। अक्षय तृतीया को जैन दर्शन में इसे श्रमण संस्कृति के साथ युग का प्रारंभ माना जाता है । जैन धर्म में इस दिन दान,जप, तप, साधना आराधना व भक्ति तथा मुख्यतया भोजन या गन्ने के रस का दान करने की परम्परा है। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी ने पहली बार वर्षीतप की 400 दिन की तपस्या इक्षु रस से पारणा किया था। एक वर्ष की लम्बी तपस्या को वर्षीतप का नाम दिया गया। उनको आहार देने वाले राजा श्रेयांश को अक्षय पुण्य प्राप्त हुआ था। उन्हांने कहा कि अक्षया तृतीया पर किया गया दान, जप, तप, साधना आराधना व भक्ति का पुण्य अक्षय रहता है।
सांझी में गाए तपस्या के गीत
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में हुए सांझा कार्यक्रम में विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल व खरतरगच्छ महिला मंडल ने भक्ति व तपस्या के अनुमोदना के गीत गाए। गीत ’’ जिन शासन में आज शुभ घड़ी, शुभ दिन सुहाना’’, गाओ रे आज गीतड़ा प्यारा , तपस्या का जीवन में बड़ा ऊंचा नाम है। कार्यक्रम में साध्वीवृंद के साथ वर्षी तप के साथ अट््ठाई तपस्वीनी कल्पना व मंजू बैन ने भी भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां दी।

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