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बीकानेर,राज्य के महाविद्यालय शिक्षकों के लंबे संघर्ष के बाद अंततः 1309 प्रोफेसर के पदों पर स्क्रीनिंग बुधवार को लोक सेवा आयोग में संपन्न हुई। एबीआरएसएम के प्रदेश महामन्त्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने बताया कि यूजीसी रेगुलेशन 2010 के प्रावधानों के अनुसार महाविद्यालय शिक्षकों का पदनाम व्याख्याता के स्थान पर असिस्टेंट प्रोफेसर,एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर करने के लिए रुक्टा राष्ट्रीय ने सतत संघर्ष किया । जनवरी, 2018 में राज्य के उच्च शिक्षा इतिहास में पहली बार कॉलेज शिक्षकों के पदनाम असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर हुए और बड़ी संख्या में कालेज शिक्षक एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पदोन्नत हुए।

2010 के यूजीसी प्रावधानों में महाविद्यालयों में महाविद्यालयों में सहआचार्यों के 10 प्रतिशत पदों पर ही प्रोफेसर बनाने का प्रावधान था । इस विसंगति को हटाने के लिए रुक्टा राष्ट्रीय ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के साथ केंद्र सरकार तथा यूजीसी को विभिन्न ज्ञापनों, भेंटवार्ताओं तथा पत्रों के माध्यम से घनीभूत प्रयास किये फलस्वरूप जुलाई, 2018 में यूजीसी रेगुलेशन के तहत महाविद्यालय में प्रोफेसर पद की सीमा हटाई गई।

एबीआरएसएम राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि यूजीसी रेगुलेशन 2018 प्रसारित होते ही राजस्थान में भी यह रेगुलेशन लागू करने के लिए संगठन ने लगातार सरकार से संवाद एवं दबाव की रणनीति अपनाई। संगठन के निरंतर संवाद व दबाव के चलते अंततः 14 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान शिक्षा सेवा महाविद्यालय शाखा के संशोधित नियमों की अधिसूचना जारी हुई तथा 19 अप्रेल 2023 को अंततः 1309 पदों पर प्रोफेसर पद की स्क्रीनिंग पूरी हुई।

संगठन महामंत्री डॉ सुशील बिस्सु ने कहा कि संगठन इसके लिए सरकार का आभार व्यक्त करता है तथा आशान्वित है कि सरकार शेष लम्बित CAS प्रकरणों को पूरा करने एवं RVRES शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन कर उन्हें भी नियमानुसार पदनाम तथा लाभ देने की अविलम्ब कार्यवाई करेगी।

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