Trending Now




बीकानेर. मरीजों को इलाज के लिए आपातकाल में अस्पताल पहुंचाने वाली १०८ एम्बुलेंस गाडिय़ां खुद बीमार है। समय पर मरम्मत व रख-रखाव नहीं होने की वजह से इन गाडिय़ों में आए दिन कोई न कोई खराबी होती रहती है। वाहनों के टायर घिस चुके हैं। आए दिन तकनीकी गड़बड़ होने से गाडिय़ां बंद हो जाती हैं। हालात यह है कि कई गाडि़यां कंडम हो चुकी है लेकिन फिर भी दौड़ाई जा रही है। एजेंसी और सरकार के स्तर पर चल रही इस गड़बड़ी का निजी एम्बुलेंस संचालक खूब फायदा उठा रहे हैं।

निजी एम्बुलेंस चालकों की मनमानी

निजी एम्बुलेंस संचालकों ने रैफर केसों के लिए रेट फिक्स कर रखा है। बीकानेर से सूरतगढ़, पांचू, नोखा, लूणकरनसर, कोलायत, श्रीडूंगरगढ़ छोडऩे के लिए 2२०० से 2५00 रुपए देने पड़ेंगे। किसी कारणवश रुकना पड़ा तो पांच सौ रुपए अतिरिक्त चार्ज देना होगा। जब निजी एम्बुलेंस संचालकों को पता चल जाता है कि मरीज को रैफर किया जा रहा है तो वह मरीज के परिजनों के पीछे ही पड़ जाते हैं। मरीजों को उनकी एम्बुलेंस में ले जाने का दबाव डालते हैं। निजी एम्बुलेंस चालकों की मनमानी के आगे मरीज-परिजन बेबस नजर आते हैं।

24 घंटे सड़कों पर दौड़ते हैं वाहन
१०८ एम्बुलेंस वाहन दिनरात देखकर नहीं चलते बल्कि जरूरत पर कॉल मिलते ही मरीज को लेकर समय पर अस्पताल पहुंचाना होता है। गर्भवती महिलाओं को भी सावधानी से और समय पर अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसे में वाहनों में समय पर मेंटेनेंस पूरी तरह फिट होना जरूरी है।

सरकार कंपनी को हर साल देती है करोड़ों रुपए

जिले में १०८ एम्बुलेंस सेवा के तहत २० गाडिय़ां चल रही हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार कंपनी को एक गाड़ी के पेटे करीब पौने दो लाख रुपए हर महीने का भुगतान किया जाता है। इतनी बड़ी रकम देने के बावजूद आमजन को सुविधा नहीं मिल पा रही। गाडिय़ों में न जीवनरक्षक उपकरण है ना ही सुविधा। कई एम्बुलेंसों में कोई ट्रेंड चालक नहीं है। एक-दो एम्बुलेंस ऐसी है, जिन्हें मजबूरी में ईएमटी चला रहे हैं।
लोकेशन पर खड़ी नहीं होती गाडिय़ां

तहसील मुख्यालय लूणकरनसर १०८ एम्बुलेंस की लोकेशन बदल कर शेखसर कर दी है। पिछले एक महीने से लूणकरनसर १०८ एम्बुलेंस शेखसर हॉस्पिटल में खड़ी है। लूणकरनसर से शेखसर की दूरी करीब ३५-४० किलोमीटर हैं। ऐसे में लूणकरनसर से रेफर होने वाले मरीजों को ४०-५० मिनट तक गाड़ी का इंतजार करना पड़ता है। अन्यथा निजी एम्बुलेंस किराए पर लेकर जाना पड़ता है।

छत्तरगढ़ में एम्बुलेंस चालक नहीं
छतरगढ़ की १०८ एम्बुलेंस में चालक नहीं है। इस गाड़ी को ईएमटी ही चला रहा है। कई गाडिय़ों में सक्षम मशीन, ऑक्सीजन पाइपें लीकेज हैं। स्ट्रेचर खराब है। कई गाडिय़ों की सीटें फटी हुई है। चार से पांच गाडिय़ा नकारा हो चुकी है लेकिन फिर भी सड़कों पर दौड़ रही है, जिससे कभी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है।

इनका कहना है…

१०८ गाडिय़ों का संचालन हो रहा है। हाल ही में दो नई गाडिय़ां मिली हैं। गाडिय़ों को फिट एवं जीवनरक्षक उपकरणों से सुसज्जित करने के लिए संबंधित कंपनी को निर्देशित किया गया है।
डॉ. बीएल मीणा, सीएमएचओ

Author