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बीकानेर,जसरासर (नोखा) जसरासर तहसील क्षेत्र के गांव लालासर साथरी में गुरु जम्भेश्वर भंगवान का शनिवार रात्रि में विशाल जागरण व सुबह हवन का कार्यक्रम होगा। लालासर साथरी के महन्त स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने बताया कि श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का 489वां महानिर्वाणदिवस कल, लालासर साथरी धाम सहित सम्पूर्ण बिश्नोई समाज में धूमधाम से मनाया जाएगा । प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिये महान वैज्ञानिक व भगवान विष्णु के अवतार के रूप में 574वर्ष पूर्व गुरु जांभोजी का प्राकट्य हुआ था । जिन्होंने ने 85 वर्ष 3 महिना 1 दिन तक इस संसार में सदेह निवास किया था । मार्गशीर्ष बदि नवमी सम्वत् 1593 के दिन गुरु जाम्भोजी महानिर्वाण को प्राप्त हुए थे । बिश्नोई समाज व उनमें श्रद्धा रखने वाले लोग इस दिन को चिलत नवमी के रूप में मनाते है । इस दिन कृषि इत्यादि कार्यों का अवकाश रखा जाता है ।अपनों घरों और मंदिरों में गुरु जाम्भोजी महाराज की शिक्षाओं का पुण्य स्मरण किया जाता है । तदनुसार इस वर्ष मार्गशीर्ष बदि अष्टमी की रात्रि में जागरण व नवमी को हवन व मेले का आयोजन होगा।
लालासर साथरी गुरू जम्भेश्वर भगवान की निर्वाण स्थली है । यहीं पर गुरू जांभोजी ने सांसारिक यात्रा को विराम दिया था। तबसे लेकर अद्यप्रयंत हर निर्वाण दिवस को यहाँ पर समाज के प्रमुख संतों को सान्निध्य में विशाल जागरण का आयोजन होता है। बिश्नोई समाज के मुख्य अष्ट धामों में यह एक महत्वपूर्ण धाम है । गुरु जांभोजी की कालजयी शिक्षाएँ सदैव प्राणी मात्र के कल्याण की पथप्रदर्शक करती रहेंगी । सम्प्रति वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों का सरल समाधान सबद वाणी में निहित है । चिलत नवमी के दिन उनकी शिक्षाओं का पुनर्स्मरण करने का अवसर है । महापुरुषों की पुण्यतिथियाँ इसलिए मनाई जाती है कि, उनका आदर्श जीवन दर्शन हमारा पाथेय बनें।

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