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बीकानेर,जसरासर(नोखा),जसरासर तहसील क्षेत्र के गांव लालासर की साथरी धाम पर रविवार को हवन कार्यक्रम हुआ जिसमें हजारों श्रदालुओं ने हवन में आहुतियां दी जम्भेश्वर भगवान के 489वें महानिर्वाण दिवस पर निर्वाण स्थली लालासर साथरी पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने आस्था से शीश नवाकर नमन किया । शनिवार रात्रि में विशाल जागरण का आयोजन हुआ। साधु संतों व गायकों ने अपनी भक्तिपूर्ण प्रस्तुति से वातावरण को भक्ति रस से सरोबार किया । रविवार की सुबह यज्ञ व सबदवाणी पाठ के उपरांत धर्म सभा का आयोजन हुआ । जिसमें मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद आचार्य ने गुरू जांभोजी की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, ‘अनैक अनैक चलंता दीठा,कलि का माणस कौण बिचारूं’ अर्थात् जगत में उत्पन्न सत्ता का अवसान निश्चित है। यही ब्रम्हांड का अनन्तिम सत्य है । अनैक अनैक योद्धाओं का काल ने कलेवा कर लिया कलयुग के मनुज की भला क्या बिसात है ।
समराथल धोरा के महन्त रामकृष्ण दास ने कहा कि,गुरू जाम्भोजी की वाणी की चेतना आज भी हमारे भीतर उर्जा का संचार करती है । सांसारिक लोगों के जन्मदिन का महत्व ज्यादा है। सिद्ध पुरुषों के निर्वाण दिवस को अधिक स्मरण किया है।
समाजसेवी शिवकरण डेलू ने गीता और गुरु वाणी को अपने दैनन्दिन जीवन में अपनाने का आह्वान किया।गायक हनुमान धायल ने पारंपरिक साखियों के माध्यम से भगवद्गुणानुवाद किया।महिला गायिका रामेश्वरी देवी पूनियाँ ने भक्ति गीतों से सभी श्रद्धालुओं को भक्ति रंग में सराबोर कर दिया।बाड़मेर से आये बालूराम सियाग ने ‘तरवर सरवर संतजन चौथा बरसे मेह,परमार्थ रे कारणें चारां धारी देह।’ को स्वर देकर जागरण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।
संत प्रेमदास महाराज समराथल धोरा,श्रवणदास मुकाम ,रमतानंद आचार्य, केशवानंद आचार्य, सुरेन्द्रानंद महाराज इत्यादि संतों ने अपनी वाक्पुष्पांजली दी।
लालासर साथरी धाम के महंत स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने सभी आगंतुकों का यथायोग्य सत्कार व साधुवाद किया। लालासर साथरी धाम के सेवकदल द्वारा श्रद्धालुओं के लिए भोजनप्रसाद व आवास का सराहनीय प्रबंध किया।

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