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बीकानेर,गाय भारतीय ऋषि और कृषि संस्कृति का आधार रही है। आज के आधुनिक विज्ञान और अर्थव्यवस्था में गो आधारित औद्योगिक विकास से उत्पादन का विश्व स्तर पर एक नया सैक्टर बनाने की दिशा में व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। इसमें गोबर गो मूत्र को जैविक कृषि के विकास से जोड़ा जा रहा है इससे गाय जैविक खेती और मानव स्वास्थ्य का आधार स्तम्भ बन सकेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि गो आधारित उद्यामिता के विकास से भारत में वैश्विक स्तर पर 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में इजाफा हो सकेगा। यह देश में स्वदेशी उत्पाद और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को मजबूत आधार प्रदान करेगा। इस दिशा में 13 अक्टूबर 2025 को आयोजित होने वाला तृतीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन गो- पंचगव्य आधारित अर्थव्वयस्था एवं आपदा जोखिम- यह प्रभावी कदम है। यह सम्मेलन नई दिल्ली डा. अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। गौवंश से प्राप्त पंचगव्य और औषधीय उत्पाद आयुर्वेद के क्षेत्र में केन्द्र और राज्य सरकारों के सहयोग से नई क्रांति को जन्म दे सकती है। भारत गो आधारित औषधीय उत्पादों दुनिया के देशों को प्राकृतिक चिकित्सा और अच्छे स्वाश्थ्य की दिशा में आगे बढ़ाया सकता है।
गाय आधारिता औद्योगिक विकास में तकनीकी और विज्ञान मददगार हो रहा है। अब तक 300 से ज्यादा गो आधारित विभिन्न उत्पाद भारतीय बाजारों में आ रहे हैं। गोबर गो मूत्र का निर्यात किया जाने लगा है। आयुर्वेद और स्वास्थ्य, जैविक खेती, गोबर गो मूत्र आधारित ऊर्जा उत्पादन से भारत में एक नई आर्थिक क्रांति हो सकेगी। आत्मनिर्भर भारत की साख अब सूचना तकनीकी, प्रोद्योगिकी, अन्तरिक्ष विज्ञान और उद्योग के साथ साथ कृषि और गौ-आधारित अर्थव्यवस्था से भी बढ़ती जा रही है। भारत में गाय आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गांवों में घर घर गाय है। गोपालक से गोबर और गो मूत्र की खरीद भी की जाने लगी है। गौमूत्र और गोबर से बनने वाली खाद और जैविक कीटनाशक किसानों के आय के नए स्त्रोत बन रहे हैं। गोबर से खाद और गो मूत्र से कीट नाशक बनाने से रसायनिक खाद और कीटनाशकों पर हमारी निर्भरता घटेगी। कृषि पर लागत भी कम होगी। साथ ही मृदा स्वास्थ्य से प्राकृतिक चक्र में रसायनिक दुष्प्रभाव कम होते है। जैविक उत्पादों का निर्यात से देश को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।
दूध उत्पादक के रूप में भारत दुनिया में सबसे अग्रिम पंक्ति में है। भारतीय देशी गाय का दूध A2 प्रोटीन युक्त है। इस दूध और इससे बने उत्पादों की दुनियाभर में खपत है। यदि हम इसे बड़े पैमाने पर संगठित उद्योग का रूप दें तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है। गौवंश से उत्पन्न गोबर का उपयोग बायोगैस और बायो-CNG बनाने में किया जा सकता है। यह ऊर्जा का स्वच्छ और सस्ता स्रोत है। इसकी तकनीक और आवश्यक मशीनरी उपलब्ध है। इसका गांवों में घर- घर उत्पादन से देश आत्मनिर्भर बनाता है।

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