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बीकानेर। 5 वर्ष तक आयु के बच्चों को डायरिया और कुपोषण के प्रकोप से बचाने गहन दस्त नियंत्रण माह का आगाज बुधवार 7 जुलाई को होगा। जिला अस्पताल, समस्त सीएचसी, पीएचसी, यूपीएचसी व आंगनवाड़ी केन्द्र स्तर में स्थापित ओआरएस व जिंक कॉर्नर का जनप्रतिनिधियों व अधिकारीयों द्वारा शुभारम्भ किया जाएगा।
सीएमएचओ डॉ. ओ.पी. चाहर ने जानकारी दी कि आईडीसीएफ मूलतः जनजागरण पर केन्द्रित रहेगा क्योंकि दस्त एक सामान्य बीमारी है जो थोड़ी सी सावधानी से ठीक हो जाती है बस पता हो कि दस्त में बच्चे को क्या देना है और क्या नहीं। अभियान के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के प्रकाश में 7 जुलाई से 6 अगस्त तक आशा सहयोगिनियाँ प्रतिदिन 5 वर्ष आयु तक के बच्चे वाले घरों में जाकर ओआरएस का पैकेट बांटेगी व किसी के दस्त से ग्रसित पाए जाने पर जिंक टेबलेट की 14 दिन की खुराक देकर डायरिया, कुपोषण, स्तनपान व हाथों की स्वच्छता जैसे सामान्य दिखने वाले परन्तु गंभीर विषयों पर सूचना व शिक्षा का संचार करेगी।
अभियान के नोडल अधिकारी तथा डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि अभियान में 3 लाख से ज्यादा बच्चों तक ओआरएस पैकेट पहुँचाने का लक्ष्य है जिसके लिए माइक्रोप्लान बनाकर पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध करवा दिया गया है और समस्त प्रशिक्षण पूर्ण हो चुके हैं। सभी चिकित्साधिकारी व एलएचवी आशाओं के प्रतिदिन कार्यो की गहन माॅनिटरिंग व रिर्पोटिंग कर इस पखवाड़े को सफल बनाएंगे। ओडीके एप द्वारा गतिविधियों की ऑनलाइन मोनिटरिंग से प्रतिदिन गतिविधियों पर राज्य स्तर से नजर रखी जाएगी। आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि पखवाड़े के लिए विशेष रूप से पोस्टर, बैनर व आशा फोल्डर की आईईसी किट के माध्यम से आशा समुदाय में दस्त के प्रबंधन व हाथ धुलाई का व्यापक सन्देश प्रसारित करेगी।

बनेंगे ओआरएस व जिंक कार्नर
डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि पखवाड़े के दौरान सभी चिकित्सा संस्थानों के ओपीडी व आईपीडी में तथा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ओआरएस व जिंक काॅर्नर बनाए जाएंगे जहां 1 लीटर घोल तैयार करने व उपयोग के तरीके का प्रदर्शन किया जाएगा। हाथ धुलाई के सही तरीके का प्रदर्शन कर स्वच्छता से स्वास्थ्य का सन्देश प्रसारित किया जाएगा। 0-5 वर्ष तक के बच्चों वाले सभी घरो में आशा सहयोगिनों के मार्फत एक-एक ओआरएस का पैकेट पहुंचाया जायेगा जिसके बदले आशा को प्रति पेैकेट 1 रूपया प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।

भारत में प्रतिवर्ष दस्त से मर जाते हैं 5 वर्ष से कम उम्र के 1 लाख बच्चे
डॉ. तनेजा ने बताया कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में से 10 प्रतिशत यानिकी भारत में 1 लाख बच्चे व राजस्थान में 10 हजार से ज्यादा बच्चे प्रतिवर्ष दस्त की वजह से मर जाते हैं जो कि बहुत आसानी से रोका जा सकता है। ये मौतें अधिकतर गर्मी व मानसून के समय होती हैं इस लिए आई.डी.सी.एफ. यानिकी गहन दस्त नियंत्रण अभियान को जुलाई में मनाया जा रहा है। दस्त व निर्जलीकरण से होने वाली मृत्यु को ओआरएस व जिंक की गोली देकर साथ में पर्याप्त पोषण देकर रोका जा सकता है। साथ ही दस्त की रोकथाम के लिए साफ पानी पीना, समय-समय पर हाथों को साफ पानी व साबुन से धोना, स्वच्छता, टीकाकरण, स्तनपान व पोषण का अहम योगदान होता है।

सादर प्रकाशनार्थ …..

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